व्यक्तित्व को प्रभावित करता है स्वप्न रहित निद्रा .
सम्पूर्ण स्वास्थ्य का मूल रहस्य है स्वाभाविक गहरी नींद।
कपालभाति और अनुलोम-विलोम प्राणायामों के नियमित अभ्यासों से संतुलित होता है गहरी नींद।
जौनपुर-
भौतिकता से परिपूर्ण होती जीवनशैली आज व्यक्ति का स्वाभाविक नींद भी छीन लिया है और यही कारण है की अधिकांश लोग शारीरिक व्याधियों के साथ आज मानसिक बिमारियों की चपेट में पूर्णतः घीरते जा रहे हैं और यही कारण है कि व्यक्ति अपना स्वाभाविक नींद के विकल्प के रूप में तरह तरह के नशीले पदार्थों का सहारा लेकर अपनी कुछ नींद को पूरा करनें के लिए विवश होते जा रहे हैं।इसलिए प्रत्येक व्यक्ति की चाहे जो भी मूलभूत परिस्थितियाँ हों वह अपनें स्वाभाविक नींद को सदैव सम्भाल कर रहें।यह बातें पतंजलि योग समिति के प्रान्तीय सह प्रभारी अचल हरीमूर्ति के द्वारा अचला देबी घाट पर योग कक्षाओं को संचालित करनें वाले योग शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा। श्री हरीमूर्ति के द्वारा बताया गया है व्यक्ति के स्वास्थ्य और व्यक्तित्व का सीधा संबंध उसके द्वारा ली गई गहरी नींद से होती है और जब भी व्यक्ति निद्रा से प्रभावित होता है उसके स्वास्थ्य पर एक गहरा संकट आनें का लक्षण प्रकट हो जाता है।वैसे नींद को प्रभावित करनें वाले अनेंको कारक होते हैं फिर भी शारीरिक और मानसिक श्रम का अभाव,मर्यादित आचरण में कमी, तनाव और अकारण राग और द्वेष इसके मुख्य कारण हैं।इसलिए सहज और सरल जीवनशैली के साथ नियमित और निरन्तर प्राणायामों के साथ ध्यान, आसन और व्यायामों का विधिवत अभ्यास करके और किसी ना किसी खेल को खेलकर स्वप्न रहित स्वाभाविक नींद की गहराई की गहराई में जाकर मनोदैहिक समस्याओं से पूर्णतः निजात पाया जा सकता है।इस मौके पर भारत स्वाभिमान के प्रभारी शशिभूषण,आचार्य कृष्णमुरारी आर्य,डा हेमन्त,संजय श्रीवास्तव,भोलानाथ,डा ध्रुवराज,शिवपूजन,कुलदीप,विकास सहित अन्य साधक उपस्थित रहे।