एनसीसी कैडेट्स को बताया सक्रिय क्षय रोगी खोज अभियान की गंभीरता
जिला क्षय नियंत्रण इकाई ने तिलकधारी महाविद्यालय में जिज्ञासाओं का किया समाधान
जिले की 11.50 लाख आबादी में 435 टीमें खोजेंगी क्षयरोगी , 87 पर्यवेक्षक तैनात
जौनपुर,संकल्प सवेरा 24 फरवरी 2023
जिला क्षय उन्मूलन इकाई ने तिलकधारी महाविद्यालय के पीजी हाल में शुक्रवार को राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) के कैडेट्स को राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के तहत सक्रिय क्षय रोगी खोज अभियान (एसीएफ) के बारे में संवेदीकृत किया। उन्हें क्षय रोग की पहचान, विभाग की योजना के क्रियान्वयन के बारे में जानकारी दी।
इसके साथ ही कैडेट्स की जिज्ञासाओं का समाधान किया।
एसोसिएट एनसीसी आफिसर (एएनओ) डॉ जितेश सिंह ने टीम से सभी का परिचय कराकर कार्यक्रम की शुरुआत की। एनटीईपी के जिला कार्यक्रम समन्वयक डीपीसी सलिल यादव ने कहा कि देश में हर वर्ष 27 लाख लोग क्षय रोग से प्रभावित हो रहे हैं। एक टीबी प्रभावित 10 से 15 लोगों को प्रभावित कर सकता है। ऐसे में देश की बड़ी आबादी क्षय रोग प्रभावित हो सकती है। इसलिए सरकार ने वर्ष 2025 तक देश से टीबी उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित किया है।
उन्होंने बताया कि इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए समाज के हर वर्ग को संवेदीकृत किया जा रहा है। जनपद की 54 लाख आबादी में से 20 प्रतिशत (11.50 लाख) आबादी से नए टीबी रोगियों की खोज करने के लिए 25 फरवरी से पांच मार्च के बीच 435 टीमें सक्रिय टीबी रोगियों को खोजेंगी। 20 प्रतिशत आबादी में टीबी संभावित मरीजों की खोज के लिए मलिन बस्तियों, स्वास्थ्य केंद्र से दूरदराज इलाकों, ऐसे क्षेत्र जहां पर टीबी मरीजों, डायबिटीज और एचआईवी मरीजों की संख्या सबसे ज्यादा है।
लेबर मंडी , ईंट-भट्ठों आदि का चयन कर अभियान चलाया जाएगा।
एसीएफ टीमों के प्रभावी पर्यवेक्षण के लिए 87 पर्यवेक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है। जिन लोगों को दो सप्ताह से ज्यादा खांसी, खांसी के साथ बुखार, वजन कम होना, भूख न लगना, रात में पसीना आना आदि लक्षण हैं, उनका दो सैम्पल लिया जाएगा। सैम्पल की जांच के लिए जनपद में 25 प्रयोगशालाएं कार्यरत हैं। एसीएफ टीमों में क्षेत्र की आशा एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की ड्यूटी लगाई गई है।
मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) डॉ लक्ष्मी सिंह के स्तर से 11 जनपद स्तरीय अधिकारियों की ड्यूटी लगाकर उन्हें कार्यक्रम के मूल्यांकन के लिए चेकलिस्ट दी गई है। सभी टीमों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। विभाग की तरफ से सारी तैयारियां पूरी हैं। एसीएफ अभियान से पूर्व इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए), कैमिस्ट एसोसिएशन, जिला टीबी टास्क फोर्स, जिला टीबी फोरम, जिला स्वास्थ्य शासी निकाय (डीएचएस) की बैठकों के माध्यम से भी जनपद स्तरीय अधिकारियों को संवेदीकृत कर दिया गया है। अभियान के दौरान टीमें टीबी के प्रति जागरूक करने के लिए प्रचार -प्रसार करते हुए पम्पलेट भी बांटेंगी। इसके पहले पुलिस बल के जवानों, होमगार्ड्स को भी संवेदीकृत किया जा चुका है।
एनसीसी कैडेट नेहा यादव ने पूछा कि टीबी से बचाव के लिए क्या बच्चों को इंजेक्शन लगता है। इस पर डीपीसी ने बताया कि इसलिए ही बच्चों को जन्म के 24 घंटे के भीतर बीसीजी का टीका लगाया जाता है, जो टीबी के अन्य अंगों तक फैलाव को रोकता है । सीनियर अंडर आफिसर सचिन यादव, अंडर आफिसर निखिल कुमार ने भी अभियान से संबंधित प्रश्न पूछे। कार्यक्रम में सीनीयर ट्रीटमेंट लैब सुपरवाइजर एसटीएलएस राजीव श्रीवास्तव, पीपीएम राम बचन, एक्स-रे टेक्नीशियन नितिन कुमार मौर्य ने भी उनकी जिज्ञासाओं का समाधान किया।