वाराणसी,संकल्प सवेरा. एमएलसी एके शर्मा के नाम को लेकर यूपी में भाजपा संगठन और सरकार के बीच चर्चाओं का बाजार गर्म है. पूर्वांचल के छोटे से जिले मऊ से वाया दिल्ली दरबार होते हुए लखनऊ और बनारस के सफर तक उनके कई किस्से हैं. आखिर एके शर्मा क्यों है दिल्ली दरबार या यूं कहें पीएम नरेंद्र मोदी के भरोसेमंद अफसरों में शामिल हैं ?
1988 बैच के गुजरात कैडर के आईएएस अधिकारी एके शर्मा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का साथ 18 साल से बेजोड़ रहा है. जब मोदी गुजरात के सीएम थे, तब भी एके शर्मा वहां बतौर सीडीओ और डीएम के साथ सीएम कार्यालय में सचिव भी रहे. कई मौकों पर एके शर्मा ने खुद को साबित किया।
एके शर्मा पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस से नजदीक मऊ जिले के मूल रूप से रहने वाले हैं. साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले एके शर्मा ने यहीं के एक प्राइमरी स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा ली. डीएवी से इंटर किया और फिर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन करने के साथ पीएचडी की डिग्री भी हासिल की. इलाहाबाद में ही सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करते हुए आईएएस बने.गुजरात में अपने कार्यकाल के समय के कुछ काम को लेकर भी एके शर्मा चर्चा में रहे।
बताया जाता है कि रोजगार देने के लिए देश की एक नामचीन कंपनी को गुजरात के साणंद में फैक्ट्री लगानी थी, लेकिन कई प्रयास के बाद जमीन नहीं मिल रही थी. इस मसले को सुलझाने की जिम्मेदारी एके शर्मा को मिली और उन्होंने बेहद कम समय में समस्या का समाधान कर दिया और फैक्ट्री लग गई।
बात चाहे भुज भूकंप में आपदा प्रबंधन की हो या फिर गुजरात में व्यापारिक गतिविधियां बढ़ाने की. हर जगह आईएएस एके शर्मा ने अहम रोल प्ले किया, जिसके बाद वे पीएम मोदी की गुडबुक में अपनी जगह मजबूत करते चले गए।
कहा तो ये भी जाता है कि साल 2014 में अमेरिका की एंबेसडर नैन्सी पावल को गांधीनगर लाने के पीछे भी एके शर्मा ने अहम भूमिका निभाई, जिसके बाद गुजरात दंगों को लेकर बिगड़ी चीजें ठीक हुईं।