वाराणसी. वाराणसी शहर और उसके आसपास के इलाके में कोरोना वायरस के बी.1.617 और बी.1.351(बीटा) सहित कम से कम सात स्वरूप से लोग संक्रमित पाए गए. यह खुलासा काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) और सेल्युलर ऐंड मोक्युलर बायोलॉजी केंद्र (CCMB) के अध्ययन में हुआ है. सीसीएमबी, वैज्ञानिक और औद्याोगिक अनुसंधान परिषद (सीएआईआर) का संस्थान है. अध्ययन के इस नतीजों पर पहुंचने के लिए 130 नमूनों का जीनोम अनुक्रमण किया गया.
बहुविषयी अनुसंधान इकाई के प्रमुख प्रोफसर रोयना सिंह ने बताया, ‘‘ सीसीएमबी की टीम ने इन नमूनों का अनुक्रमण किया और पाया कि इलाके में वायरस के कम से कम सात स्वरूप प्रमुख रूप से मौजूद हैं.’’ विश्वविद्यालय के बहुविषयी अनुसंधान इकाई ने इन नमूनों को वाराणसी शहर से एकत्र किया था और अधिकतर नमूने अप्रैल महीने में लिए गए थे. उन्होंने बताया, ‘‘चिंतित करने वाले स्वरूपों में हमने सबसे प्रमुख से बी.1.617 स्वरूप को पाया. वायरस का यह प्रकार भारत में कोविड-19 की दूसरी लहर के लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार रहा.’’ कोरोना वायरस के बी.1.617 स्वरूप का सबसे पहले पता भारत में चला था और इसका उप प्रकार बी.1.617.2 भी है.
अभूतपूर्व तरीके से मामले बढ़ने की घटना को रोका जा सके
सीसीएमबी के सलाहकार राकेश मिश्रा ने बताया, ‘‘भारत के अधिकतर हिस्सों में आम रूप से पाए गए बी.1.617.2 स्वरूप (अथवा डेल्टा स्वरूप) की प्रमुखता हमारे नमूनों में भी रही. कुल लिए गए नमूनों में से 36 प्रतिशत में वायरस का यह स्वरूप मिला. अन्य वायरस के स्वरूप में बी.1.351 रहा जिसका सबसे पहले पता दक्षिण अफ्रीका में लगा था.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारे अध्ययन से पुष्टि होती है कि वायरस का डेल्टा स्वरूप देश में सबसे अधिक फैला है लेकिन इसके साथ ही हमें अन्य स्वरूपों पर भी नजर रखनी है ताकि अभूतपूर्व तरीके से मामले बढ़ने की घटना को रोका जा सके.’’