इस साल वक्त से पहले ही गर्मी ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है. वहीं अगर वाराणसी की बात करे तो यहां तापमान 40 के पार पहुंच चुका है।
संकल्प सवेरा, काशी।पुरानी कहावत है कि बगैर तप के जप नहीं. यानी बगैर तपस्या के पूजा भी निरर्थक है. लेकिन यह पुरानी कहावत आज द्वादश ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख काशी विश्वनाथ मंदिर और सात सौ करोड़ से भी ऊपर की लागत से बनकर तैयार हुए विश्वनाथ कॉरिडोर में चरितार्थ होती दिख रही है. शिव भक्तों की अग्नि परीक्षा कोई और नहीं, बल्कि विश्वनाथ मंदिर प्रशासन की ओर से उस वक्त ली जा रही है जब गर्मी वक्त से पहले ही सितम ढाने लगी है और वाराणसी का पारा 40 डिग्री के भी पार जा चुका है।
आलम यह है कि दिन चढ़ते ही कॉरिडोर के पत्थर तपने लग रहे हैं और श्रद्धालुओं को कहीं भी छांव तक मयस्सर नहीं है, लिहाजा आसमान के अंगारे और तपती जमीन से बचने के लिए शिव भक्त विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर में दौड़ लगाते दिख रहे हैं।
द्वादश ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख और 700 करोड़ से भी ज्यादा की लागत से बनकर तैयार श्री काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर या विश्वनाथ धाम में इन दिनों शिव भक्तों की मैराथन दौड़ देखकर आप भी चौंक मत जाइएगा।कहीं बच्चों को गोद में लेकर श्रद्धालु भाग रहे हैं तो कहीं बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं तक रेस लगा रही हैं. हैरान होने की जरूरत नहीं है।
वाराणसी के विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर में किसी तरह की दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन नहीं हुआ है, बल्कि यह सब कुछ शिव भक्त खुद को धूप और गर्मी से बचाने के लिए कर रहें ।
वक्त से पहले पड़ने वाली भीषण गर्मी के चलते दिन होते ही कॉरिडोर में आसमान से अंगारे बरसने लग रहे हैं तो जमीन भट्टी बन जा रही है. इससे बचने के लिए श्रद्धालु परिसर में भागते नजर आ रहे हैं. मंदिर चौक के हिस्से में प्रवेश के वक्त ही श्रद्धालुओं से उनके चप्पल-जूते उतरवा लिए जा रहे हैं. फिर श्रद्धालुओं को मंदिर परिसर के कुछ दूर पहले लगे मैट तक पैदल ही दौड़कर जाना पड़ रहा है और तपती पथरीली जमीन से बचना पड़ रहा है. रही सही कसर तीखी धूप पूरी कर दे रही है क्योंकि कॉरिडोर में कहीं भी छांव की व्यवस्था मंदिर प्रशासन ने नहीं की है.
इस बात से आस्थावान काफी नाराज नजर आए. कोलकाता से आए राजीव बताते हैं कि गर्मी की वजह से पैर जल रहे हैं. अगर कारपेट की व्यवस्था हो जाए तो काफी सहूलियत हो जाएगी. आगे और गर्मी बढ़ेगी तो कष्ट और बढ़ेगा. तो वहीं कोलकाता से ही आए संजय पांडेय ने बताया कि गर्मी की वजह से दिक्कत तो आ रही है. कारपेट लग जाता तो आराम हो जाता और छांव के लिए भी आगे व्यवस्था करनी पड़ेगी. पानी की व्यवस्था मिली है. महाराष्ट्र के अमरावती जिले से आए बुजुर्ग गणेश आचार्य भी दौड़ लगाने वालों में देखे गए और उन्होंने भी बताया कि दर्शन करके प्रसन्नता हुई है, लेकिन मैट और छांव की भी व्यवस्था होनी चाहिए