राममंदिर उद्घाटन से पहले निखर रही अयोध्या की पौराणिकता, 37 प्राचीन मंदिरों का सुंदरीकरण शुरू
संकल्प सवेरा। रामजन्मभूमि परिसर में राममंदिर निर्माण का काम 70 फीसदी पूरा हो चुका है। मंंदिर का गर्भगृह बनकर तैयार है, भूतल की फर्श मकराना संगमरमर से सज रही है तो भूतल के स्तंभों पर देवी-देवताओं की मूर्तियां उकेरे जा रही हैं।
रामजन्मभूमि परिसर में राममंदिर निर्माण का काम 70 फीसदी पूरा हो चुका है। मंंदिर का गर्भगृह बनकर तैयार है, भूतल की फर्श मकराना संगमरमर से सज रही है तो भूतल के स्तंभों पर देवी-देवताओं की मूर्तियां उकेरे जा रही हैं। जनवरी 2024 में राममंदिर का उद्घाटन होना है, उससे पहले अयोध्या को सजाने का काम भी जोरों पर चल रहा है। इसी क्रम में रामनगरी की प्राचीनता के गवाह 37 मंदिरों के सुंदरीकरण का काम भी प्रारंभ कर दिया है, इनकी मंदिरों का वैभव लौटेगा, दिसंबर तक ये मंदिर सज-संवर जाएंगें
भव्य गर्भगृह में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 21 से 23 जनवरी के बीच पीएम नरेंद्र मोदी के हाथों होनी हैं। प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में लाखों श्रद्धालु अयोध्या आएंगें, उनके स्वागत में अयोध्या को सजाने व सुविधाएं विकसित करने का काम तेज गति से चल रहा है। इसी क्रम में मुख्यमंत्री के निर्देश पर रामनगरी की प्राचीनता के गवाह 37 मंदिरों का चयन किया गया है, जिनका सुंदरीकरण कराया जाना है। यह काम पर्यटन विभाग को सौंपा गया है, हर मंदिरों के अलग-अलग बजट का आवंटन किया गया है। इन सभी मंदिरों को उनकी गरिमा के अनुसार सुंदरीकरण कर सजाया-संवारा जाएगा। इन सभी मंदिरों की कोई न कोई मान्यता है और ये आस्था के केंद्र हैं
उपनिदेशक पर्यटन आरपी यादव ने बताया कि सुंदरीकरण के क्रम में इन मंदिरों की मुखाकृति को दुरूस्त किया जाएगा। इनका रंग-रोगन होगा, मंदिरों के गर्भगृह को बेहतर किया जाएगा। जर्जर हिस्सों की मरम्मत की जाएगी। विशेष प्रकार की लाइटिंग के इंतजाम होंगे। मंदिरों के परिसर में पार्क व फौव्वारे विकसित किये जाएंगें, यहां बैठने के भी इंतजाम होंगे। फुटपाथ बनाया जाएगा। कुछ मंदिरों के गर्भगृह में म्यूजिक सिस्टम भी लगाए जाने की योजना है।
इन मंदिरों को मिलेगी भव्यता
गुरूद्वारा ब्रह्मकुंड, आचारी मंदिर, जानकीघाट बड़ास्थान, मंगल भवन, रामकचेहरी मंदिर, सियाराम किला, दिगंबर अखाड़ा, तुलसी चौरा मंदिर, कालेराम मंदिर, नेपाली मंदिर, भरत महल मंदिर, रामगुलेला मंदिर, छोटी देवकाली मंदिर, चित्रगुप्त मंदिर, विश्वकर्मा मंदिर आदि
छोटी देवकाली मंदिर में विराजती हैं मां पावर्ती
रामनगरी स्थित छोटी देवकाली मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र हैं। मान्यता है कि यहां माता पार्वती स्वयं विराजती हैं। विदेशी इतिहासकारों व दार्शनिकों ने भी इस मंदिर की महत्ता का जिक्र किया है। यहां छह महीने निरंतर दर्शन से मनोकामना पूरी होती है।
रामचरित मानस की रचनास्थली है तुलसी चौरा
आचारी मंदिर का मंदिर आंदोलन में अहम स्थान रहा है। इसी मंदिर के स्वामित्व में आने वाले तुलसी चौरा मंदिर परिसर में ही गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस की रचना की थी। रामलला की प्राणप्रतिष्ठा से पहले यह मंदिर भी सज जाएगा
यहां स्थापित है विक्रमादित्य कालीन मूर्ति
प्राचीन पीठ नागेश्वरनाथ से सटे कालेराम मंदिर में सम्राट विक्रमादित्य द्वारा स्थापित राम पंचायतन की पूजा होती है। मान्यता है कि यहां हर रोज दर्शन करने से मनोकामना पूरी होती है, यहां प्रतिदिन हजारों भक्त उमड़ते हैं