मदद के लिए अधिकारियों के कार्यालय के चक्कर लगा रहा शहीद का परिवार
संकल्प सवेरा,जौनपुर|| जब कोई जवान सेना में भर्ती होता है तो उसका सिर्फ एक मकसद होता है दुश्मन देश के लोगों को देश की सीमा से दूर ही रखना । उस समय उस जवान को फक्र होता है की उसका जीवन देश के काम आ रहा है लेकिन उस जवान को ये नहीं पता होता है की उसके मौत के बाद उसके अपने परिवार के लोगो को अपने ही देश अपने ही गांव में कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा और अपमानित भी होना पड़ेगा।
जी हां आज हम आपको जौनपुर के ऐसे ही सेना के एक जवान के परिवार का दुःख दिखाने जा रहे है जो अपने ही गांव में ना सिर्फ समस्याओं से जूझ रहा है बल्कि अपमानित भी हो रहा है।
बतादे की गौरा बादशाहपुर थाना क्षेत्र के खटोलिया गांव के रहने वाले स्व रामशंकर यादव भारतीय सेना में नायक के पद पर कार्यरत थे। सेवा काल के दौरान ही रामशंकर यादव की मौत हो गई। रमाशंकर यादव अपने पीछे अपनी पत्नी उर्मिला और एक बेटे को छोड़ गए थे। धीरे धीरे समय बदला और बेटा बड़ा हो गया। रमाशंकर के घर तक रास्ता ना होने से बेटे ने मां के साथ ग्राम प्रधान से मिलकर रास्ते की गुहार लगाई।
लेकिन रास्ता नही मिला। फिर मां बेटे खंड विकास अधिकारी धर्मापुर उसके बाद एसडीएम सदर फिर डीएम और थक हार कर भाजपा सांसद बीपी सरोज से गुहार लगाई। सांसद ने जिलाधिकारी को जांच कर इस परिवार के घर तक रास्ता बनवाने का लिखित निर्देश भी दिया बावजूद उसके इस परिवार की समस्या का समाधान नहीं हो सका । आज भी ये परिवार महज घर तक रास्ते के लिए अधिकारियो के कार्यालय के चक्कर लगा रहा है।
पीड़िता उर्मिला का आरोप है की ऐसा भी नहीं है की उनके घर तक जाने के लिए रास्ता नही मिल सकता क्योंकि घर के सामने बंजर की जमीन है । लेकिन जैसे है मैने रास्ते के लिए अधिकारियो से गुहार लगानी शुरू की वैसे ही गांव के दबंग मुकेश यादव के द्वारा बंजर की जमीन पर बाउंड्री बना कर कब्जा किया जाने लगा। इस अवैध कब्जे की शिकायत डायल 112 पर पुलिस को दी। एक बार तो पुलिस ने आ कर काम रुकवाया लेकिन थोड़ी ही देर बाद दबंगों ने फिर काम लगवा दिया और दुबारा फोन करने पर पुलिस डेढ़ घंटे बाद आई । तब तक दबंगों ने बाउंड्री खड़ी कर ली थी।
अगर शहीद जवान की पत्नी का आरोप सही है तो फिर सवाल ये उठता है की क्या योगी बाबा के बुलडोजर का खौफ ऐसे दबंगों को नही क्या सेना में सेवा काल के दौरान शहीद हुए जवान के परिवार का ऐसे ही सम्मान होता है, अगर नही तो फिर आखिर कब तक शहीद का ये परिवार महज एक रास्ते के लिए अधिकारियो से लेकर जन प्रतिनिधियों तक दर – दर की ठोकरें खाता रहेगा ।