वट सावित्री व्रत के लिए अमावस्या तिथि की शुरुआत: 21 मई को रात 9.35 बजे और अमावस्या तिथि की समाप्ति: 22 मई की रात 11.08 बजे तक रहेगी. इसके अनुसार कोई भी व्रती 22 मई को दिनभर में किसी भी समय इसका पूजन कर सकती हैं.
पति कि लम्बी आयु के लिये किया जाने वाला वट सावित्री व्रत (Vat Savitri fast) इस बार 22 मई यानी शुक्रवार को है ज्येष्ठ मास की अमावस्या के दिन कि जाने जाने वाले इस व्रत के दिन महिलाएं मंदिरों में पूजा करती हैं और वट वृक्ष (Banyan Tree) में कच्चा सूत बांधकर अपने पति की लंबी आयु और स्वस्थ रहने की प्रार्थना करती हैं. इस बार ये व्रत कोरोना महामारी (Corona epidemic) को लेकर लागू लॉकडाउन में किया जा रहा है. कोरोना काल में होने वाली इस पूजा-व्रत को लेकर व्रतियों में कुछ संशय भी है. संशय लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग (Lockdown and social distancing) के बीच इस व्रत को कैसे पूरा करें. दरअसल इसमें वट वृक्ष के पास जाना अनिवार्य होता है और वहां काफी भीड़ हो जाया करती है.
ज्योतिषी कहते हैं, भाव से होती है पूजा
ज्योतिषाचार्य डॉ राजनाथ झा बताते हैं कि महिलाएं अखण्ड सौभाग्य के लिए वट सावित्री व्रत करती हैं. पर इस बार कोरोना काल की वजह से पहले कि तरह पूजा नहीं कर सकेंगी. हालाकि इस बात से व्रती परेशान न हों कि उनकी श्रद्धा में कोई कमी रह जाएगी. ज्योतिषाचार्य कहते हैं कि कई शस्त्रों में कहा गया है, भाव मिच्छन्ति देवता. अतः भाव से ही भगवान प्रसन्न होते हैं. अत: भाव से पूजा करें.
ज्योतिषाचार्य ने इसके लिए उपाय बताते हुए कहा कि घर में ही हो सके तो वट के पेड़ की टहनी लाकर पूजा करें . कथा खुद पढ़कर भोग लगा लें या पंडित से फोन पर भी कथा सुन सकती हैं. दान देने कि सामग्री कुछ घर पर ही हो तो वो निकाल पर चढ़ा दें, ना हो तो पैसे भी चढ़ा सकती है जिससे बाद में दान किया जा सकता है.
पूजन विधि इस दिन वट वृक्ष पूजन का विशेष महत्व है अतः वट वृक्ष या उसका टहनी लाकर उसका श्रद्धापूर्वक पूजन कर सावित्री ओर सत्यवान की कथा सुनें. सर्वप्रथम माता गौ का पूजन कर पंखा, फल, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि लेकर जैसे पूजा करें. जैसे सावित्री के सुहाग पर आंच नहीं आयी इसी कामना के साथ अपनी सुहाग की रक्षा के लिए व्रत करें.
नव विवाहिता वर-वधू बहुत ही हर्ष उल्लास के साथ ये पर्व मनाते हैंं, जो इस कोरोना काल में थोड़ी मुश्किल है. बाहर मंदिरों में पूजा करना इसीलिए इस बार आप अपने घरों पर रहकर करें.
शुभ मुहूर्त
अमावस्या तिथि की शुरुआत: 21 मई को रात 9.35 बजे
अमावस्या तिथि की समाप्ति: 22 मई की रात 11.08 बजे
इसके अनुसार कोई भी व्रती 22 मई के दिनभर में किसी भी समय इसका पूजन कर सकती हैं.