आज 22 सितंबर को वर्ल्ड रोज डे के उपलक्ष्य में मनाते हैं
रिपोर्ट:-जय प्रकाश मिश्रा जौनपुर
सुरज यादव जी के कलम से…..
हम सब फरवरी माह में आने वाले रोज डे के बारे हर किसी ने सुना होगा लेकिन सितंबर में भी एक रोज डे होता है अधिकांश लोग को ये नहीं पता होगा की 22 सितंबर को वर्ल्ड रोज डे मनाते हैं और यह दिवस कैंसर पीड़ित मरीजों को समर्पित है उन्हे गुलाब देकर खुश करने कि एक छोटी सी कोशिश मात्र है जिनके माध्यम से हम सब उनका दूख थोड़ा हल्का कर सकते हैं
.. 22 सितंबर को यह प्रतिवर्ष मनाए जाने वाला कार्यक्रम है इस दिन का उद्देश्य सभी कैंसर पीड़ित मरीजों को संदेश देना कि दृढ़ निश्चय मजबूत इरादा की भावना से कैंसर से लड़कर इसे आसानी से मात दिया जा सकता है कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर की कुछ कोशिकाएं नियंत्रण से बाहर हो जाती है
जिससे वे शरीर के अन्य हिस्से में पहुंच जाती है और कैंसर का रूप धारण कर लेती है कैंसर शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है इस लिए इस दिन को सभी लोग कैंसर विरोधी अभियान विश्व गुलाब दिवस के रूप में भी यह दिन मनाते है इस दिन हर व्यक्ति अपने आस पास सगे संबंधी और कोई न हो तो हॉस्पिटल में जाकर कुछ हद तक बाट सकते हैं जो इस कैंसर जैसी बीमारी का सामना कर रहे है
यह गुलाब तो बहाना है उन्हे हिम्मत देने का प्यार देने का आश्वासन देने का की कैंसर अंत नहीं बल्कि शुरुवात है कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी को हराने के लिए अपने आप में दृढ़ निश्चय का होना बेहद जरूरी है वर्ल्ड रोज डे मनाने के पीछे का इतिहास वर्ल्ड रोज डे मनाने के पीछे एक कनाडाई लड़की का स्वर्णिम इतिहास है दरअसल 12 साल की छोटी खेलने कूदने वाली उम्र में मेलिंडा रोज को ब्लड कैंसर हो गया जो खतरनाक कैंसर के प्रकारो में एक था
जिसे कैंसर एक्सपर्ट पैनल के डाक्टरों ने ऐस्किस ट्यूमर नाम दिया और इलाज के बाद डॉक्टरों ने कहा ये एक या दो सप्ताह से ज्यादा जीवित नहीं रह पायेगी लेकिन मिलिंडा रोज के दृढ़ निश्चय और आत्मविश्वास कैंसर के प्रति डाक्टरों की भविष्यवाणी को भी झुटला दिया मेलिंडा रोज अपने इलाज के दौरान कैंसर पीड़ित मरीजों के लिए कविताएं,
उत्साह वर्धन बाते खूब लिखा करती थी वो कैंसर को कैसे मात खुशी खुशी दे सकते हैं उसका भी जिक्र खूब किया करती थी मेलिंडा रोज भले ही मर गई हो लेकिन सबको ये सीख दे गयी की कैंसर को आसानी से मात दिया जा सकता है
मेलिंडा की बस यही आखिरी इच्छा थी कि कैंसर मरीजों के लिए एक आशा की किरण बन सके और मेलिंडा रोज जीतने दिन जीवित रही वो कैंसर मरीजों को खुशियां बाटती रही और मोटिवेटेड स्पीच और कविताएं लिखती रही और वो अपने पिता और भाई के साथ कैंसर पीड़ितों के लिए एक वेबसाइट तैयार की इसके बाद से इन्हे कैंसर किड्स कहा जाने लगा मिलेंडा ने अपने आखिरी वक्त में कहा था जिंदगी बहुत बेहतर है जब आप उन चीजों पर ध्यान केंद्रित करते हैं
जो आप कर सकते हो और जो आपके पास है , बल्कि उन चीजों के बारे में चिंता करने के बजाय जो आप नहीं कर सकते और आपके पास नहीं है#, इनकी बहुत अल्प आयु में मृत्यु 15 सितम्बर 1996 को हो गई .. विश्व गुलाब दिवस दिवस का महत्व .. शब्द गुलाब के उपयोग को संदर्भित करता है जिसे दुनिया का सबसे लोक प्रिय और फूलों का राजा कहा जाता है गुलाब दया प्रेम कोमलता का सूचक होता है तथा आपसी प्रेम को बढ़ावा देता है
.. विश्व गुलाब दिवस समारोह क्यों मनाया जाता है कैंसर के प्रति सबको सजग करना लोग कैंसर पीड़ित का दुःख दर्द समझे और अपना सहयोग करे कैंसर मृत्यु दर की कमी के उदैश्य से धूम्रपान से निषेध शराब , नशीली मादक पदार्थ से दूरी बनाए लोगो को कैंसर
बीमारी के बारे में बता के जागरुक करे कैंसर के प्रति डर को हटाने के लिए कैंसर से जो जंग जीत चुके है उनकी बातो से सबको रूबरू कराए ताकि मनोवैज्ञानिक डर न बने कैंसर के प्रति विज्ञापन के माध्यम से सबको जागरुकता मिले ।