परीक्षा परिणाम के बाद की राह: प्रो . आर, एन. सिंह
वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक
संकल्प संकल्प। जीवन का कोई भी ऐसा पहलू नहीं रहा जिसे कोविड ने प्रभावित नहीं किया हो. अस्त-व्यस्त न किया हो। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई और परीक्षा कैसे अप्रभावित रह सकती है। चूँकि कोविड का दौर अभी भी जारी है, ऐसे में कोई ख़तरा मोल लेना न तो उचित होगा और न ही सुरक्षित।
यदि एक तरफ़ उपलब्धि और दूसरी तरफ़ ज़िंदगी में चयन का द्वन्द है तो चुनना तो हमें ज़िंदगी ही पड़ेगा। उसका कोई विकल्प नहीं है। ज़िंदगी बची रहेगी तो अवसर बहुत मिलेंगे।
उक्त नज़रिया ही बच्चों की परीक्षाओं को रद्द करने एवं सामूहिक प्रोन्नति देने के निर्णय का आधार है। कोरोना के ख़तरे से बच्चों को बचाने का यह राम बाण माना गाया। बच्चों तथा उनके अभिभावकों को इसे खिलाड़ी भावना से लेने की जरुरत है। चूँकि यह एक वैश्विक समस्या है, अतः उनके आगामी मूल्यांकन पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा।
उनका पिछला शैक्षिक रेकर्ड उनकी क्षमता की तस्दीक़ तो करेगा ही और आगे प्रवेश भी प्रभावित नही होगा। मौजूदा दौर प्रतिस्पर्धा का है, इसलिए चिन्तित होने की ज़रा भी जरुरत नही है। आगे पूरा मौक़ा होगा, जो चाहें बच्चे कर सकते हैं। देश काल एवं परिस्थिति को ध्यान में रखकर की फ़ैसला लेना बेहतर होता है।
अपने परिणाम को दिल से अंगीकार करें बच्चे, ख़ुशियाँ साझा करें, यही उनके उत्तम भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेगा।
हाँ, एक बात और कहना ज़रूरी है। बात यह है कि सफलता प्रतिशत अधिक होने के कारण अगली कक्षाओं में प्रवेश में थोड़ी प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, उससे घबराने की आवश्यकता बिलकुल ही नहीं है। बच्चों को एक से अधिक स्कूलों में फार्म डालना होगा ताकि कहीं न कहीं प्रवेश मिल जाय।
व्यावसायिक प्रोग्राम को भी अपना विकल्प बना सकते हैं। आज उसी की अधिक माँग है। साथ ही अपनी आकांक्षा के अनुसार किसी और बेहतर लक्ष्य के लिए तैयारी में भी कुछ समय लगा सकते है। आप का भविष्य सुखद होगा। समय के अनुसार ही लक्ष्य निर्धारण बुद्धिमानी है, यह सफलता का एक बड़ा आधार है।
बच्चों, आप जीवन के नए क्षेत्र में प्रवेश करेंगे, नए लोग मिलेंगे, नई जगह होगी, नए गुरु होंगे, सभी आप की प्रगति के आकांक्षी है।आप कदम आगे बढ़ाइए , वक्त आप के साथ होगा, भविष्य सुखद होगा।
द्वन्द से बाहर निकलिए, चुनौतियों का सामना कीजिए, आने वाला कल आप का है।