भाव के भूखे हैं भगवान शिव: आशुतोष त्रिपाठी
संकल्प सवेरा। सावन महीने में शिव की महिमा एवं आराधना पर पत्रकार संगोष्ठी के माध्यम से आशुतोष त्रिपाठी ने कहा कि सृष्टि पर भगवान शिव एकमात्र ऐसे देवता है जिनकी आराधना देव दैत्य एवं मनुष्य तीनों ही करते हैं भगवान भाव के भूखे होते हैं।
दरअसल जिस प्रकार बादल के साथ पानी की बूंदे जुड़ी रहती हैं, उसी तरह से भक्ति भी श्रद्धा का एक रूप ही है। बाहर से देखने पर बादल की तरह और छू देने पर बूंदें गिरने लगें। यहां भक्ति का पलड़ा केवल इसलिए भारी है कि इसके साथ प्रेम भी जुड़ा है। शिव भाव के भूखे हैं उनको सावन माह सबसे प्रिय है
इसलिए इस महीने में जब ओम नमः शिवाय का जाप करते हुए भक्त शिवलिंग पर भाव से जल अर्पित करते हैं तो उन्हें प्रसन्नता मिल जाती है शिव पतित पावनी मोक्षदायिनी मां गंगा को अपनी जटाओं में धारण किए हैं ये सामर्थ केवल उन में ही है शिव पर चंद्रमा धारण कर व शीतलता के प्रतीक हैं सर्प की माला नंदी की सवारी अर्थात जो अहितकारी हैं उस पर शिव का नियंत्रण है शिव नृत्य संगीत आदि कलाओं के जनक हैं अमंगल कारी शक्तियों की क्षति के लिए शिवओपासना जरूरी है शिव की उपासना समग्र सृष्टि के कल्याण सुख और निरोग होने की कामना पूर्ण करती है
शिव की भाव से की गई स्तुति से सृष्टि का संरक्षण होता है सृष्टि संरक्षित होगी तो मानव जीवन भी बचेगा अमृत का पान तो सभी करना चाहते हैं लेकिन भगवान शिव जनकल्याण के लिए विष पीते हैं शिव कल्याणकारी होने के साथ-साथ शिव संहारकरता भी है अगर शिव भक्तों का कल्याण करते हैं तो मृत्यु प्रदाता भी हैं
इसके जरिए प्रकृति का संतुलन बनाते हैं सावन के महीने में शिव की जागृति अवस्था में रहते हैं शिव का एक स्वरूप प्रकृति के संरक्षण का भी है.
आशुतोष त्रिपाठी प्रवक्ता जौनपुर