संकल्प सवेरा जौनपुर प्रणवम् स्कूल ऑफ़ चिल्ड्रेन आर्ट्स में ओणम त्योहार मनाया गया ! मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव मुकुंद तिवारी जी द्वीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया !
मुख्य अतिथि मुकुंद तिवारी ने कहा ओणम केरल का एक बहुत ही प्रमुख तथा प्राचीन त्योहार है जो बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार चिंगम महीने में मनाया जाता है। चिंगम माह मलयालम कैलेंडर का पहला महीना होता है जो अगस्त-सितंबर के महीने में ही आता है !ओणम शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द श्रवणम शब्द से हुई है, “श्रवणं” संस्कृत में 27 नक्षत्रों या नक्षत्रों में से एक की ओर इंगित करता है। दक्षिण भारत में थिरु शब्द का उपयोग भगवान विष्णु से जुड़ी हर चीज के लिए किया जाता है।
थिरुवोनम को भगवान विष्णु का नक्षत्र माना जाता है प्रभु विष्णु ने महान राजा महाबली को अपने पैर से पाताल में दबाया था।
इस त्योहार को अभिमान नाशक के रूप में मनाया जाता है तथा जन समूह इस त्योहार प्रेरित तथा प्रफुल्लित होता है।
भगवान विष्णु के परम भक्त कहे जाने वाले श्री प्रहलाद जी असुर कुल में जन्म लेने के बावजूद भी अपने कर्म से हरि भक्त ही कहलाए। प्रहलाद के पोते बलि भी उनके ही गुणों के साथ पैदा हुए।
राजा बलि की ख्याति स्वर्ग तक फैली हुई थी। वे उस वक्त दानवीर कह जाते थे क्योंकि उनके द्वार पर कोई भी इंसान दुख ही वापस नहीं जाता था।
अपनी प्रजा के लिए राजा बलि एक भगवान समान थे। प्रजा उनसे बेहद खुश थी तथा उनकी पूजा करती थी तथा वे भी अपनी प्रजा से बेहद प्रेम करते थे। उनके राज्य में अन्याय का नामोनिशान नहीं था।
लेकिन उनके अंदर अहम भाव की कुछ मात्रा पनप चुकी थी। देवताओं ने सोचा की कहीं राजा बलि का अहम भाव स्वर्ग को छीनने की इच्छा ना प्रकट करने लगे। इसलिए वे सभी भगवान विष्णु के पास अपनी गुहार को ले गए।
भगवान अपने भक्तों को किसी भी बुराई से दूर रखते हैं। इसलिए भगवान विष्णु वामन अवतार धारण कर राजा बलि के अहंकार को नष्ट करने निकल पड़े।
भगवान विष्णु ने वामन अवतार धरकर राजा बलि के दरबार में पहुंचे और कुछ दान करने के लिए कहा। लेकिन अभिमान वश राजा बलि ने कहा कि आप इस संसार की कोई भी चीज मांग सकते है।पहले तो भगवान विष्णु ने उन्हें रोका लेकिन उनके अभिमान को देखकर उन्होंने कहा कि मैं जो मांग लूंगा शायद आप वो ना दे सके। ऐसे में राजा बलि का अभिमान सातवें आसमान को छू गया और उन्होंने वामन देवता को खुलकर कुछ भी मांगने का आदेश दिया।
वामन देवता के रूप में भगवान विष्णु ने उनसे सिर्फ तीन पग की जमीन मांगी। पहले तो राजा बलि ने उनका उपहास उड़ाया और कुछ बड़ा मांगने को कहा। लेकिन वामन देवता के आग्रह पर वे मान गए और तीन कदम नापने का आदेश दिया।
वामन देवता ने अपने पहले कदम के रूप में पूरी धरती नाप दी। यह देखते ही राजा बलि को अपनी भूल का एहसास हुआ। दूसरी कदम के रूप में वामन देवता ने अंतरिक्ष को नाप दिया। जैसे ही वे तीसरे कदम को उठाने चले तभी राजा बलि ने उनके चरणों को पकड़कर विलाप करना शुरू कर दिया।
उन्होंने अपने अभिमान के लिए उनसे माफी मांगी। अपने कथन अनुसार उन्होंने अपनी राजगद्दी त्याग दी और पाताल लोक में जाकर राज करने लगे।
उनके वचन पालन से खुश होकर भगवान विष्णु ने उन्हें एक वरदान मांगने को कहा तो उन्होंने वर्ष में एक दिन धरती पर आकर अपनी प्रजा को देखने की अनुमति मांगी। उनके इस वरदान को भगवान ने मान लिया।
ऐसा माना जाता है कि हर वर्ष ओणम के दिन ही राजा बलि धरती पर आकर अपनी प्रजा तथा राज्य को देखते हैं। केरल की प्रजा अपने राजा की याद में हर वर्ष इस त्योहार को मनाती है। स्कूल प्रधानाचार्य सिल्जा प्रमोद ने संचालन किया तथा स्कूल प्रबंधक डॉक्टर प्रमोद के सिंह नए आए हुए अतिथियों के प्रति आभार प्रकट किया !