गुजरात, अंतिम 30 सालों से निर्माण अवकाश निर्माण करने में बाजार में अग्रणी सेन्ट-गोबेन इन्डिया प्रा. लि.- जोयोप्रोक सूरत के मजूरा गेट में मौजुद अस्पताल संकुल को सूरत और दक्षिण गुजरात प्रदेश के लिए स्वास्थ्य देखभाल की सुविधा की आवश्यकताओं को पूरी करने के लिए कोविड-19 युनिट में तब्दील करने की पहल में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। गुजरात सरकार ने हाल ही में मामले में आए उछाल को ध्यान में रखते हुए 3 सप्ताह से कम समय में डबल्युएचओ की मार्गदर्शिकाओं को पहुंचने के लिए कोविड-19 युनिट शुरू करने के लिए किए गए ठराव के भागरूप है।
सूरत में सभी मरिज के लिए पूरी जगह प्रदान करने के लिए सभी जगहों के साथ यह युनिट खडा करने के लिए अधिक वार्ड्स, सेनिटेशन स्थानों, पेन्ट्री और महत्वपूर्ण जोन स्थापित करने के लिए विभाजित विभागों निर्माण करने 52000 वर्ग फीट की दीवार विभाजन के लिए आवश्यक था। इन्फ्रास्ट्रक्चर में परिवर्तन लाने के अनुभव और टेक्नोलोजी में निपुणता के साथ जोयेप्रोक प्रोजेक्ट संबंधी अन्य एजन्सीओं के साथ डिजाईन सपोर्ट, मटिरियल मुवमेन्ट, इन्स्टोलेशन सिक्वन्स, कार्यबल, नियोजन,
ओन-साईट देखभाल और समन्वय पूरा करने के लिए प्रोजेक्ट की अगुवाई की थी। 6 जुलाई, 2020 में यह विशाल प्रोजेक्ट की पहल शुरू की गई, जो तीन सप्ताह से कम समय में पूर्ण किया गया, जिसे लेकर भारत में दर्ज सबसे तेज गतिवाले निर्माण में से एक बना था। सफल परिवर्तन जिप्सम प्लास्टरबोर्ड्स आधारित ड्रायवोल टेक्नोलोजी का उपयोग कर संभव हो पाया था, जिससे कार्य की गति बढ जाए और तत्काल अमल किया जाए।
सूरत अस्पताल के लिए मुख्य कन्सल्ट श्री सर्जन टेक्नोलोजीस प्रा. लि. के एम डी और सीईओ श्री कमल पारेख ने बताया था कि प्रोजेक्ट की कन्सल्टन्ट के तौर में हम दो मुख्य चुनौतियों का सामना किया था। पहला, संभव टूंक समय में संकल्पना करना और प्रोजेक्ट प्रदान करना, जिससे इलाज के लिए निरंतर समय लेकर पारंपरिक सलाट काम का उपयोग किया नहीं गया था।
दूसरी बडी चुनौति खास तौर पर श्रमिको राज्य छोडकर गए होने के कारण आठ मंजिल पूर्ण करने के लिए श्रमिकों की कमी थी। आज ड्रायवोल टेक्नोलोजी के कारण हम सूरत और दक्षिण गुजरात के लिए 17 दिन में 600 बेड की अस्पताल दे सके हैं। यह निवारण के साथ सरकार और निजी स्वास्थ्य देखभाल संस्थाओं उनकी संभावनाओ, खास कर अग्नि प्रतिरोधकता, लवचिकता और कार्यक्षमता का लाभ ले सकते है और तेज गति से और उत्कृष्ठ स्वास्थ्य संभाल युनिटो स्थापित कर सकते हैं।
प्रोजेक्ट प्रदान करने की दृष्टि से पीएसपी कन्स्ट्रक्शन्स लि. के प्रोजेक्ट्स के आसिस्टन्ट्ट वाईस प्रेसिडेन्ट श्री चिराग पटेल ने बताया कि यह प्रोजेक्ट में अंतिम रेखा को पहुंचने की जिम्मेदारी आवश्यकता के कारण निर्माण तेज गति को ध्यान में लेते हुए हमारे सभी के लिए यह काफी मुश्किल काम था। तेज गति का प्रतिसाद समय, तत्काल मटिरियल की उपलब्धता, ओन-साईट मार्गदर्शन के साथ विश्वसनीयता और अनुभव जिप्रोक की पसंदगी करने हमारे लिए मुख्य मापदंड में से एक था और उनकी ड्रायवोल ओफर को तेज गति करने में निर्माण सहाय की है।
इस योगदान के विषय में बोलते जिप्रोक इन्डिया के सेल्स और मार्केटिंग के वाईस प्रेसिडेन्ट श्री सुदीप कोलते ने बताया कि महत्वपूर्ण घोषित स्वास्थ्य स्थिति में योगदान देने की पहल का हिस्सा बनने के लिए हमें बेहद खुशी है। आमूल परिवर्तन की जरूरत है हालांकि भावि तैयार इन्फ्रास्ट्रक्चर की खातरी करने के लिए यह निवारण लंबे समय से असरकारक सक्षमता के लिए एक कदम आगे है। यह प्रोजेक्ट टूंक समय में जिप्सम आधारित ड्रायवोल्स जैसी हरित टेक्नोलोजी का उपयोग कर नाविन्यपूर्ण डिजाईन प्रदान करने के लिए अजोड नमूना है और अस्पताल के पार भी सुसंगत है।
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उदाहरण के तौर पर, जिप्सम आधारित ड्रायवोल टेक्नोलोजी ने निजी स्वास्थ्य संभाल खिलाडियों में व्यापक स्वीकार प्राप्त किया है। 25 से अधिक निजी स्वास्थ्य संभाल शृंखलाओं उनके एक या अधिक प्रोजेक्ट में ड्रायवोल टेक्नोलोजी का उपयोग किया है।
देशभर में प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाय) के भागरूप देशभर में सेंकडो सुपर-स्पेशियालिटी अस्पतालों और नया एईम्स केम्प्सों के साथ ड्रायवोल जैसी निर्माण टेक्नोलोजी के समुदायों के अधिक पहुंच ऐसे युनिटों बनाने में मदद होंगी। साथ ही भारत सरकार ने महामारी संबंधी जरूरतों का प्रतिसाद में 2020 में बजट के भागरूप अधिक फन्डिंग, नई सुधारणाओं और अधिक स्वास्थ्य संभाल का लक्ष्य के पहल की घोषणा की है।
इस प्रोजेक्ट की असरकारकता स्वास्थ्य संभाल इन्फ्रास्ट्रक्चर की उपलब्धता की चुनौति शुरू रखने के लिए अधिक मामले है ऐसे अधिक प्रदेशों में यह मोडेल का अमल करने की कई अन्य सरकारों के विचार के लिए प्रेरित करेंगी।