दौर मुश्किल है, संयम से काम लें
कोरोना महामारी पर देश के वरिष्ठ मनोवैज्ञानिकों की सलाह
भारतीय मनोविज्ञान परिषद् के बैनर तले देश के तमाम वरिश्ठ मनोवैज्ञानिकों ने सोशल मीडिया के माधयम से कोरोना महामरी पर अपनी राय रखा I कार्यक्रम का संयोजन प्रो. आर. एन. सिंह, मनोविज्ञान विभाग , बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी, वाराणसी ने किया I विषय का प्रवर्तन करते हुए प्रो. सिंह ने कहा की आज पूरी दुनिया कोरोना से दहल गई हैं I लगभग बाइस लाख लोग कोरोना से संक्रमित हैं और एक लाख साठ हज़ार से अधिक लोगो की जान जा चुकी हैी स्थिति भयावह है I भारत भी इसकी चपेट में आ चूका है I भारत में संक्रमण की संख्या सोलह हज़ार हो चुकी है और ५०७ लोंगो की मृत्यु हो चुकी है I लॉक डाउन में देश है i लोगो को नाना प्रकार की समस्याओ का सामना करना पड रहा है i लोगो में भय एवं असुरक्षा की भावना घर कर गई है i इसमें मनोवैज्ञानिक उपायों की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई हैI
मंजुश्री मानसिक स्वास्थ केंद्र दिल्ली के प्रवन्ध निदेशक प्रो. जी. पी. ठाकुर ने सुझाव दिया कि चूँकि अभी इसकी कोई दवा नहीं है, अतः बचाव ही सबसे सुरक्षित उपाय है . लोग घर के अंदर ही रहे और पूरी सफाई रखें, स्वयं को काम में लगाए, खली दिमाग न बैठे, मुश्किल आयी है तो इसे जाना भी है, बस धैर्य रखिये एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं.
वरिष्ठ परमार्शदाता प्रो. रवि गुंथे जोधपुर विश्वविद्यालय का मत कि घर के अंदर ही रहना कोरोना से बचाव का सबसे कारगर कवच है. इसे लोग बीमारी ही माने यह कोई दैवी आपदा नहीं है. अनावश्यक घबराहट से बचे और परिवार में इसी को लेकर उलझे न रहे, आपस में अच्छी एवं रोचक बातें एवं किस्से कहानिया साझा करिये और कुछ रचनात्मक काम भी करिये, समय अच्छे से गुजर जायेगा.
दिल्ली यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक प्रो. एन. के. चड्ढा ने समाज के हर स्वर्ग के लोगो के लिए अलग अलग सलाह पेश किया. उनका कहना था कि इस समय तनाव से बचने के लिए शारीरिक एवं मानसिक क्रिया कलापो में व्यस्त रहना सबसे अधिक मुफीद दवा है. स्वच्छता एव सामाजिक दूरी का पालन इस महामारी में रामबाण का काम करेगा. मज़बूरी कुछ भी हो घर में ही रहिये. छात्रों ऑन लाइन तयारी में लगे रहे. यदि कोई व्यकित तनाव या चिंता कि गिरफ्त में है तो उसे परिवार के लोगो को स्नेहिल वातावरण प्रदान करना चाहिए.. सोच अच्छी रखिये और मनोबल ऊँचा , हर समस्या का समाधान निकल आएगा.
प्रो. राधे श्याम रोहतक यूनिवर्सिटी का विचार रहा कि धैर्य एव सही सोच हमें इस संकट से बचा लेगी. लोंगो को घबराने के बजाय विवेक से काम लेना चाहिए तथा अपने समय को अधूरे कामो को पूरा करने में लगाए. मनोचित्सक प्रो. के.एस सेंगर रांची ने कहा कि विश्राम का मौका बड़े भग्य से मिलता है,
प्रो. इन्द्र मणि लाल सिंह बी एच यु , वाराणसी ने बताया कि सतर्कता एव सावधानी पूर्णतः अपेक्षित है . आरोग्य सेतु की सहायता लेना बहुत ही लाभकारी है. वाराणसी से ही प्रो. शोभना जोशी ने रोग से लड़ने कि शरीर की क्षमता बढ़ाने पर बल दिया. प्रो. सोमैया, चेन्नई, का विचार था कि एकाकीपन के प्रभाव को ख़त्म करने के लिए सामाजिक मीडिया का रचनात्मक उपयोग एक बेहतर उपाय है साथ ही स्वस्थ्य के अन्य उपायों को व्यहार में लाना उपयोगो रहेगा.
प्रो. यु . पी. सिंह, मगध यूनिवर्सिटी, ने इस समय को सद्कार्यो में लगाने तथा अधूरे कार्यो को पूरा काने पर जोर दिया. डा.जगदीश सिंह वाराणसी का सुझाव् काफी रोचक रहा. आप ने कहा कि सुबह शाम व्यायाम कि आदत डालिये, कोरोना हार मान जायेगा. इसके अतिरिक्त डा. ओ. पी. चौधरी, मिथिलेश सिंह (वाराणसी), प्रतिभा सिंह (बिहार) अदि ने भी अपना विचार साझा किया.
कार्यक्रम के संयोजक प्रो. आर. एन . सिंह ने कांफ्रेंस का समापन करते हुए कहा कि कोई मुश्किल हमेशा के लिए नहीं आती, अवधानी वर्तिए, स्वाथ्य पर पूरा ध्यान रहे, खौफ को मन से बहार कीजिये, अच्छी सोच रखिए, जान है तो जहाँ है , जीवन सरस हो जायेगा. हमें कोरोना योद्धाओं से सबक लेना चाहिए तथा उनका दिल से सम्मान भी करना चाहिए.