(परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के जन्मदिवस पर विशेष)
राजस्थान। मुट्ठी भर अन्न के दाने , सीधे पकने को जाते थे उस माटी के चुल्हे पर.. जिसके आंगन में भूख टीस मारती थी और खोलते भोजन के भाप की तरह कोरोना लॉक डाउन के संकट मे सूरज के प्रकाश पर भी गर्दिश डाल दी। ये तो राजस्थान राज्य पथ परिवहन विभाग के सूझ-बूझपूर्ण कार्य थे जिससे मजदूरों का जितना ज्यादा भला हो सके, हर अंतिम प्रयास किया गया। ज्ञातव्य है कि मजदूरों की त्रासद स्थिति किसी के लिए भी अंतहीन पीड़ा का सबब हो गई और मानवीयता के नाते इन्हें अपनी मंजिल तक पहुंचाने का सुरक्षित सफर का अवसर उपलब्ध कराना मानो प्रदेश के परिवहन मंत्री खाचरियावास ने अपना लक्ष्य बना लिया। आज राजस्थान परिवहन विभाग ने इस पवित्र मुहिम के लिए जो जज्बा दिखाया वह काबिले तारीफ है।अपने घर की एक झलक देखने के लिये व्याकुल हजारों कामगारों को यूपी, एमपी इत्यादि सीमावर्ती बार्डर पर छोड़ा गया तब मजदूरों के चेहरे की प्रसन्नता मानो दुआ कर रही थी कि परिवहन मंत्री हो तो ऐसे। उन्हें छोडने के साथ साथ बस मे भी उनकी सुरक्षा हेतु सभी सावधानियां रखी गई। जाने से पहले सिंधीकैंप केंद्रीय बस स्टेण्ड पर बसों को सेनेटाइज किया गया और फिर वापसी मे भी राजा धोक टोल प्लाजा मे बसों को सेनेटाइज किया गया। ज्ञातव्य है कि प्रतापसिंह खाचरियावास हमेशा ही नवाचारों के लिए प्रतिबद्ध हैं और आज जब संपूर्ण विश्व इस महामारी से त्रस्त हैं। ऐसी स्थिति में राजस्थान सरकार ने बढते आर्थिक भार की स्थिति को दरकिनार करते हुए ऐसी व्यवस्था की जो लोक कल्याणकारी सरकार का सर्वोत्कृष्ट उदाहरण है। राजस्थान भामाशाहो की धरती है इसमे कोई संदेह नहीं और इन्होने ने भी बेबस मजदूरों के खान-पान और छोटी-मोटी जरूरतों को पूरा करने के लिए जी जान लगाई जो कि काबिले तारीफ है। जब मजदूरों ने पैदल ही पलायन प्रारंभ किया तो स्थिति यह हो गई कि जैसे चलते फिरते मौत के सौदागर हो, ऐसी स्थिति में इनके जीवन के साथ प्रदेश के जीवन को सुरक्षित रखना भी सरकार की जिम्मेदारी है। ऐसे हालात में रोडवेज कर्मचारियों ने अपनी व अपने परिवारजनों की परवाह किए बिना सब की सुरक्षा का ध्यान रखते हुए जो भूमिका निभाई काबिले तारीफ है। आज स्थिति यह कि राजस्थान सरकार मजदूरों को मंजिल तक पहुँचाने लिए हर पल हर घड़ी तैयार है। आज परिवहन विभाग का एक मात्र यही उद्देश्य है कि जनता जनार्दन है और इनकी सुरक्षा ही प्रमुख ध्येय है।
परिवहन विभाग ने कोरोना संकट के मद्देनजर कुछ नवाचार किए हैं। यथा राजस्थान रोडवेज द्वारा जयपुर के केन्द्रीय बस स्टेण्ड सिंधी कैंप पर कुर्सियों की सुविधा इस प्रकार की गई है जिससे फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन हो सके। फिजिकल डिस्टेंस का ध्यान रखते हुए प्रशासन के समन्वय से प्रवासी मजदूरों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया जा रहा है। जिलों में फंसे हुए विद्यार्थियों को घर तक पहुंचाया गया। प्रत्येक बस को सैनिटाइज किया जा रहा है एवं कोरोना के गाइड लाइनों का पालन कर यात्रा करवाई जा रही है। बस स्टैंड को सेनीटाइज कर सफाई का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। परिवहन विभाग का प्रत्येक कर्मचारी सजक, सतर्क है एवं प्रशासन के साथ मिलकर हर तरीके से कोरोना संकट को नेस्तनाबूद करने के लिए तैयार है।
इसी मुहिम में चालक परिचालकों की स्क्रीनिंग की जा रही है।
आज राजस्थान सरकार हर तरीके से कोरोना संकट के निवारण के उपाय अपना रही है। लोकडाउन के अंतर्गत कोई अभावग्रस्त न हो, कही राहत सामग्री के विपणन मे देरी न हो। मरीज परेशान न हो आज सबके लिए पास व्यवस्था का कार्य बड़े ही सुचारू रूप से किया गया जो कि काबिलेतारीफ है साथ ही नियंत्रण और संतुलन की जो व्यवस्था राजस्थान में बनाई रखी गई वह अन्य प्रांतों के लिए भी उदाहरण है। आज हमे गर्व है कि परिवहन विभाग आज के इस कोरोना के दुखद दौर में बड़ी ही मुस्तैदी से आमजन के साथ खड़ा है जिसके लिए प्रतापसिंह खाचरियावास बधाई के पात्र हैं।
डॉ. भावना शर्मा
मोदियो की जाव
झुंझुनूं राजस्थान ।