कथा के पांचवे दिन धनुष यज्ञ प्रसंग सुनकर श्रोतागण हुए भावविभोर –
बरईपार –
सिकरारा क्षेत्र के भुवा कला खपरहा में चल रहे सात दिवसीय संगीतमय रामकथा के पांचवें दिन सु श्री साध्वी सुषमा जी महाराज धनुष यज्ञ प्रसंग पर कहीं की सीता स्वयंवर में राजा चले पहले और भगवान को मनाए बाद में तथा इकट्ठा तो हुए पर एक नहीं हुए जिससे धनुष नहीं उठा सके
चौपाई -परिकर बाधि उठे अकुलाई ।चली इष्ट देवन सीर नाई ।।
अर्थात राजा लोग आपस में मना रहे हैं प्रभु धनुष मुझसे ही उठ जाए तो 99 लोग मना रहे हैं कि प्रभु न उठे नहीं तो हम क्या उठाएंगे जिससे धनुष नहीं उठ सका दूसरा कारण दस हजार राजा इकट्ठा हुए लेकिन एक नहीं हुए इकट्ठा होना और एक होना दोनों अलग बात है सभी राजा इकट्ठा हुए और इनका विचार था कि धनुष उठाने के बाद सब लोग युद्ध करके जीतेगी जो विजयी होगा वही सीता जी का होगा ऐसे विचार से क्या समाज का कल्याण संभव है इकट्ठा होने की नीति यही कहती है कि आप इकट्ठे होकर आओ परंतु एक होकर जाओ तो कथा सुनने की सही सार्थकता है ।
कथा आयोजक कर्ता राजेश यादव सद्गुरु टेंट हाउस व चंद्रभूषण बड़े बाबू रामनाथ प्रधानाचार्य व दयाशंकर ,अंबिका तथा संचालन करता दिनेश चंद्र शर्मा पूर्व जिला पंचायत प्रत्यशी के द्वारा किया गया ।और कथा के समापन पर लोगों को प्रसाद वितरण व आयोजकों द्वारा उनके प्रति आभार व्यक्त किया गया
रिपोर्ट- आकाश मिश्रा (शनि)