बसपा अध्यक्ष और यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के पिता का गुरुवार को निधन हो गया। वे 95 वर्ष के थे। उनका अंतिम संस्कार दिल्ली में होगा। बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा की ओर से जारी शोक संदेश में कहा गया है कि पूर्व मुख्यमंत्री मायावती जी के पूज्य पिता श्री प्रभु दयाल जी का 95 वर्ष की उम्र में स्वर्गवास हो गया। बहुजन समाज पार्टी के समस्त कार्यकर्ताओं पदाधिकारियों की ओर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को शांति तथा शोक संतृप्त परिवार को इस अपूरणीय क्षति को सहने की शक्ति प्रदान करें।
आइये जानते है पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के राजनीतिक जीवन के बारे में
मायावती बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का नेतृत्व करने वाली एक भारतीय राजनेत्री हैं।उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने चार बार कार्य किया है। वर्ष 1984 में बहुजन समाज पार्टी की स्थापना के वह इसकी एक महत्वपूर्ण सदस्य रही हैं और अब पार्टी की अध्यक्ष के रूप में कार्य करती हैं।बहुजन समाज पार्टी का गठन अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों और पिछड़े वर्गों सहित बहुजनों या दलितों के सुधार, विकास और कल्याण पर केंद्रित था।
वर्ष 2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में हार का सामना करने के बाद पार्टी के नेता के रूप में मायावती ने 7 मार्च 2012 को इस्तीफा दे दिया। अंततः उन्हें संसद के उच्च सदन, राज्यसभा की सदस्य के रूप में निर्वाचित किया गया।
मायावती एक भारतीय राज्य की मुख्यमंत्री बनने वाली पहली भारतीय दलित सदस्य हैं। उन्हंब दलितों के बीच एक प्रतीक माना जाता है और लोकप्रिय रूप से “बहनजी” के रूप में सम्मानित किया जाता है। पार्टी की एक नेत्री के रूप में, बहुजन समाज पार्टी के लिए बहुत सा धन जुटाने के लिए उनकी सराहना की गई है।
व्यक्तिगत और व्यावसायिक पृष्ठभूमि
मायावती का जन्म 15 जनवरी 1956 को दिल्ली के श्रीमती सुचेता कृपलानी अस्पताल में हुआ था। उनकी माँ का नाम राम रती है। गौतम बुद्ध नगर में बादलपुर में उनके पिता प्रभु दास एक डाक कर्मचारी थे। वर्ष 1975 में, उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध कालिंदी महिला कॉलेज से बी.ए. की उपाधि धारणकी। वर्ष 1976 में, उन्होंने वीएमएलजी कॉलेज, गाजियाबाद सेबी.एड की उपाधि अर्जित की। उसके बाद, वर्ष 1983 में दिल्ली विश्वविद्यालय सेउन्होंने एलएलबी किया।
राजनीति में प्रवेश
बी.एड का पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद, मायावती ने अपने पड़ोस में छात्रों को पढ़ाना शुरू किया और साथ ही आईएएस परीक्षा की तैयारी भी कर रही थीं।एक बार वर्ष 1977 में जाने-माने दलित राजनेता कांशी राम उनके घर परिवार से मिलने आए।वह मायावती के वार्ता कौशल और विचारों से प्रभावित हुए और उन्हें राजनीति में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। वर्ष 1984 में, कांशी राम ने बहुजन समाज पार्टी की स्थापना की और उन्हें इसके सदस्य के रूप में शामिल किया। भारतीय राजनीति में यह उनका पहला कदम था। वर्ष 1989 में पहली बारवह संसद सदस्य के रूप मेंचुनी गई थीं। वर्ष 2006 में, मायावती ने कांशी राम का अंतिम संस्कार किया,जिसे लिंग अभिनति के खिलाफ पार्टी की अभिव्यक्ति और विचारों के रूप में माना गया, क्योंकि भारतीय हिंदू परिवारों में दिवंगत व्यक्ति काअंतिम संस्कार परंपरागत रूप से परिवार के पुरुष उत्तराधिकारी द्वारा किया जाता है।.
अब तक मायावती की राजनीतिक यात्रा
वर्ष 1984 में, बहुजन समाज पार्टी का गठन दलित राजनेता कांशी राम ने किया था और मायावती को पार्टी के सदस्य के रूप में शामिल किया गया था।वर्ष 1989 में 9वीं लोकसभा के आम चुनावों में मायावती ने सफलतापूर्वक चुनाव लड़ा।इस चुनाव में, वह पहली बार संसद सदस्य के रूप में चुनी गई थीं।उन्होंने एक बड़े अंतर के साथ जीत दर्ज की और लोकसभा में उत्तर प्रदेश के बिजनौर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया।अप्रैल 1994 मेंवह पहली बार राज्यसभा या संसद के उच्च सदन की सदस्य बनीं।
जून 1995 मेंउत्तर प्रदेश राज्य में मुख्यमंत्री के रूप में कार्य करने वालीपहली भारतीय दलित महिलाबनकर उन्होंनेइतिहास बनाया। वह 18 अक्टूबर 1995 तक पद पर बनी रहीं।
वर्ष 1996 से 1998 तक उन्होंने उत्तर प्रदेश राज्य विधानसभा में विधायक के रूप में कार्य किया। 21 मार्च, 1997 को दूसरी बार वहउत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं और 20 सितंबर 1997 तक इस पद को बरकरार रखा।
वर्ष 1998 मेंवह उत्तर प्रदेश के अकबरपुर निर्वाचन क्षेत्र से 12वीं लोकसभा की सदस्य के रूप में दूसरी बार चुनी गई थीं।
वर्ष 1999 मेंवह 13वीं लोकसभा की सदस्य बनीं।
15 दिसंबर 2001 कोदलित नेता कांशी राम ने एक भव्य रैली में घोषणा की कि मायावती उनकी राजनीतिक उत्तराधिकारी होंगी और उनके साथ-साथ बहुजन आंदोलन की एकमात्र उत्तराधिकारी होंगी।
फरवरी 2002 कोउन्हें उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्य के रूप में फिर से निर्वाचित किया गया था।
मार्च 2002 कोउन्होंने अकबरपुर लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया।
3 मई 2002 कोवह तीसरी बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं और 26 अगस्त 2002 तक बनी रहीं।
कांशी राम का स्वास्थ्य खराब होने पर18 सितंबर 2003 को वह बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष बनीं।
अप्रैल-मई 2004 मेंउन्हें उत्तर प्रदेश के अकबरपुर निर्वाचन क्षेत्र से(चौथी बार) 14वीं लोकसभा की सदस्य के रूप में फिर से निर्वाचित किया गया था।
जुलाई 2004 मेंउन्होंने लोकसभा से इस्तीफा दे दिया और दूसरी बार राज्यसभा की सदस्य बनीं।
27 अगस्त 2006 कोवह दूसरी बार पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में चुनी गई थीं।.
13 मई 2007 कोवह चौथी बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं और 14 मार्च 2012 तक पद बनी रहीं।
वर्ष 2012 के विधानसभा चुनावों मेंमायावती की बहुजन समाज पार्टी ने समाजवादी पार्टी के खिलाफ अपना बहुमत खो दिया।
वर्तमान में वहसंसद में राज्यसभा सदस्य के रूप में सेवा कर रही है।
मायावती पर आधारित पुस्तकें
आयरन लेडी कुमारी मायावती’ नामक पुस्तक वरिष्ठ पत्रकार मोहम्मद जमील अख्तर ने लिखी थी। यह पुस्तक 14 अप्रैल 1999 को डॉ. अम्बेडकर की जयंती की पूर्व संध्या पर श्री कांशी राम द्वारा प्रकाशित की गई थी।
बहनजी: मायावती की राजनीतिक जीवनी अनुभवी पत्रकार अजय बोस द्वारालिखी गयी।
मायावती द्वारा लिखी गयी पुस्तकें
“बहुजन समाज और उसकी राजनीति’ को 3 जून, 2000 को पार्टी की पच्चीसवीं सालगिरह पर श्री कांशी राम द्वारा प्रकाशित किया गया था।
मेरा संघर्षमय जीवन एवं बहुजन आंदोलन का सफरनामा पुस्तक को 15 जनवरी, 2006 को मायावती के 50वें जन्मदिन पर श्री कांशी राम द्वारा प्रकाशित किया गया था।
कांशी राम जयंती की पूर्व संध्या पर 15 मार्च, 2008 को ‘माई स्ट्रगल-रिडेन लाइफ एण्ड ऑफ बहुजन समाज’(मेरी और बहुजन समाज की संघर्ष यात्रा) प्रकाशित की गयी थी।