संकल्प सवेरा, राजस्थान के पहले दलित मुख्यमंत्री रहे जगन्नाथ पहाड़िया का कोरोना के चलते बुधवार रात को निधन हो गया है. पहाड़िया राजस्थान के एक मात्र दलित सीएम रहे थे. वह महज 13 महीने मुख्यमंत्री रहे, लेकिन इस दौरान उन्होंने प्रदेश में सम्पूर्ण शराबबंदी कर दी थी. जगन्नाथ पहाड़िया संजय गांधी के काफी करीबी थे और उनका राजनीति में आना भी एक रोचक किस्सा है.
बताया जाता है कि एक नेता पहाड़िया को तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से मिलवाने के लिए ले गये थे. जब नेहरू ने पहाड़िया से पूछा कि देश कैसा चल रहा है तो पहाड़िया ने बेबाकी से जवाब देकर पंडित नेहरू का दिल जीत लिया था. पहाड़िया ने पंडित नेहरू से कहा कि बाकी चीजें तो ठीक चल रही हैं, लेकिन देश में दलितों को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा है.
दूसरी लोकसभा में वे सबसे कम उम्र के सांसद
इस पर पंडित नेहरू ने उनसे कहा कि आप चुनाव क्यों नहीं लड़ते. जवाब में पहाड़िया ने कहा कि आप टिकट देंगे तो मैं चुनाव लडूंगा. इस तरह महज 25 साल की उम्र में जगन्नाथ पहाड़िया की राजनीति में एंट्री हो गई. साल 1957 में पहाड़िया सवाईमाधोपुर सीट से चुनाव लड़कर लोकसभा पहुंचे और दूसरी लोकसभा वे सबसे कम उम्र के सांसद थे.
ऐसे गई मुख्यमंत्री की कुर्सी
कई दिग्गज नेताओं को पीछे छोड़ जगन्नाथ पहाड़िया राजस्थान के मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन वे महज 13 महीने ही राजस्थान के मुख्यमंत्री रह पाए. उनकी कुर्सी जाने के पीछे भी एक रोचक किस्सा है. बताया जाता है कि जयपुर में एक समारोह में उन्होंने कवयित्री महादेवी वर्मा की कविताओं को लेकर टिप्पणी की थी. उसके चलते उन्हें अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी.
यह कहा था पहाड़िया ने
इस कार्यक्रम में पहाड़िया ने महादेवी वर्मा की कविताओं को लेकर कहा कि उनकी कविताएं सिर से ऊपर होकर निकल जाती हैं. साहित्य ऐसा लिखा जाना चाहिए जो आम लोगों की समझ में आए. पहाड़िया ने कहा कि महादेवी वर्मा की कविताएं मेरी भी समझ में नहीं आती हैं. महादेवी वर्मा ने इसकी शिकायत तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से की. उसके बाद पहाड़िया को मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी. पहाड़िया उसके बाद राजनीति की मुख्यधारा में नहीं आ पाए. हालांकि, बाद में उन्हें बिहार और हरियाणा का राज्यपाल बनाया गया.
संजय गांधी के थे करीबी
जगन्नाथ पहाड़िया संजय गांधी के बेहद करीबी माने जाते थे. ऐसा माना जाता है कि संजय गांधी से नजदीकी की वजह से ही उन्होंने राजनीति की सीढियां तेजी से चढीं. कई दिग्गज नेताओं को पछाड़ कर वे राजस्थान के मुख्यमंत्री बने थे. दिल्ली के राजस्थान हाउस में हुई विधायक दल की बैठक में उन्हें नेता चुना गया था. इस बैठक में संजय गांधी खुद मौजूद थे.