तापसी पन्नू अपने करियर के सुनहरे दौर में हैं। आने वाले दिनों में वह शूटर से लेकर वैज्ञानिक तक के किरदार निभाती नजर आएंगी। यह विविधता उन्हें उनकी तमाम समकालीन अभिनेत्रियों से अलग खड़ा करती है। तापसी से एक दिलचस्प बातचीत के कुछ अंश:
क्या फिल्म ‘मिशन मंगल’ के किरदार के लिए आपको बहुत तैयारी करनी पड़ी?
नहीं, इस किरदार को निभाना मेरे लिए ज्यादा मुश्किल नहीं था। मैं वैज्ञानिक शब्दावली से अच्छी तरह वाकिफ हूं, क्योंकि मैंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की हुई है। मैंने इस फिल्म में सिर्फ इसकी शानदार कहानी से प्रभावित होकर काम किया। भारत में इस किस्म की फिल्म इससे पहले नहीं बनी है।
जब मिशन मंगल का पोस्टर रिलीज हुआ था, तो सोशल मीडिया पर एक नया विवाद खड़ा हो गया कि फिल्म के पोस्टर में अक्षय कुमार को सबसे प्रमुख जगह दी गई है। इस पर आप क्या कहेंगी?
कोई भी इस सच से मुंह नहीं मोड़ सकता है कि अक्षय कुमार एक ऐसे एक्टर हैं, जो अपने बलबूते दर्शकों को सिनेमाघर तक खींच कर ला सकते हैं। वैसे तो हम सभी अपनी-अपनी क्षमता के हिसाब से अच्छा काम कर रहे हैं, पर हम इस सच से नहीं भाग सकते कि आखिरकार सबसे ज्यादा फर्क इस बात से पड़ता है कि फिल्म ने कितना पैसा कमाया। मुझे उम्मीद है कि लोग भी इस बात को समझेंगे।
क्या अब बॉलीवुड की हीरोइनों को बतौर मेहनताना मुंहमांगी रकम मिल रही है?
व्यक्तिगत तौर पर मुझे ऐसा लगता है कि मेरी फीस और फिल्म की कमाई के बीच एक संतुलित अनुपात होना चाहिए। अगर मेरी कोई फिल्म पर्याप्त बिजनेस नहीं करती, तो मैं उसके निर्माता से बेहिसाब पैसा नहीं मांग सकती। मैं सिर्फ इसलिए ज्यादा पैसा नहीं मांग सकती, क्योंकि अभिनेताओं को ज्यादा पैसा मिल रहा है। मैं यह चाहती हूं कि मेरी फिल्में खूब सारा मुनाफा कमाएं, जिससे मुझे भी अच्छा पैसा मिले। सिर्फ अपनी फीस के बारे में सोचने के दूरगामी परिणाम अच्छे नहीं होते। हालांकि इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि आज भी बॉलीवुड में हीरो और हीरोइन के मेहनताने में जमीन-आसमान का फर्क है। कई बार तो महिला केंद्रित फिल्मों का पूरा बजट एक बड़े हीरो के मेहनताने के बराबर होता है।
क्या कभी आपके पास किसी प्रशंसक ने यह संदेश भेजा कि आपके किसी किरदार से उन्हें मानसिक संबल मिला?
ऐसा कई बार हुआ। शुरुआत ‘पिंक’ से हुई थी। फिर ‘नाम शबाना’ और ‘मनमर्जियां’ के वक्त भी ऐसा हुआ।