समाज की जननी है बेटियां आशुतोष त्रिपाठी
संकल्प सवेरा। पत्रकार संगोष्ठी के माध्यम से बेटी दिवस पर विशेष परिचर्चा में भौतिकी प्रवक्ता आशुतोष त्रिपाठी ने बताया कि वो शाख है ना फूल,
अगर तितलियां ना हों,
वो घर भी कोई घर है
जहां बच्चियां ना हों.
आज घर की रौनक और गर्व का दिन यानी बेटी दिवस है।
बदलते परिवेश में भारत में बेटियों के प्रति नजरिए को लेकर बहुत बदलाव आया है लेकिन अभी भी भारत को बेटी के महत्व को समझने के लिए एक लम्बा रास्ता तय करना है।केवल आज के दिन ही नहीं, बल्कि आज से आप बेटियों के महत्व को समझते हुए उनके सपनों को उड़ने के लिए पंख दे सकते हैं।
कोशिश करें, कि आप बेटियों के अस्तित्व को तलाशने में उनकी मदद करें। आइए, जानते हैं , भारत में बेटी दिवस मनाने की एक खास वजह बेटियों के प्रति लोगों को जागरुक करना। इस दिन बेटी को न पढ़ाना, उन्हें जन्म से पहले मारना, घरेलू हिंसा, दहेज और दुष्कर्म से बेटियों को बचाने के लिए भारतीयों को जागरुक करना है।
उन्हें यह समझाना कि बेटियां बोझ नहीं होती, बल्कि आपके घर का एक अहम हिस्सा होती हैं। आज डॉटर्स डे है। यह हर साल सितंबर महीने के चौथे रविवार को मनाया जाता है। इसका मुख्य मकसद लोगों को बेटियों के प्रति सम्मान और स्नेह के लिए जागरुक करना है।
यह दिन बेटियों को समर्पित होता है। मनुस्मृति में स्पष्ट लिखा है-
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः ।
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः।। भारत की प्रभुता अखंडता की सुरक्षा के लिए भारत में बेटियों के प्रति संतुलित मानसिकता और कंधे से कंधा मिलाकर के समाज में आगे ले जाने की प्रवृत्ति और जागरूकता जरूरी है