केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सदियों से चली आ रही एक रस्म को बाधित नहीं किया जाना चाहिए. वहीं, ओडिशा सरकार ने कहा कि जन भागीदारी के बिना रथ यात्रा आयोजित की जा सकती है.
- जगन्नाथ रथ यात्रा पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
- चीफ जस्टिस ने तीन जजों की बेंच गठित की
- थोड़ी देर में होगी मामले की सुनवाई
कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से पुरी रथ यात्रा पर रोक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं डाली गई है. इन याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है. इस मामले में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) एसए बोवडे ने तीन जजों की बेंच गठित की है, जो मामले की सुनवाई थोड़ी देर में करेगी.
इस बेंच में सीजेआई एसए बोवडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी को शामिल किया गया है. इसी बेंच ने पहले आदेश जारी किया था. सीजेआई एसए बोबडे इस समय अपने गृह जिले नागपुर में हैं. वहां उनके घर पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है. उसके बाद सुनवाई होगी.
रथयात्रा के पक्ष में केंद्र-ओडिशा सरकार
इससे पहले जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच के सामने केस को मेंशन किया गया. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केवल वे लोग जिनका कोविड टेस्ट नेगेटिव आया है और भगवान जगन्नाथ मंदिर में सेवायत के रूप में काम कर रहे हैं, वो अनुष्ठान का हिस्सा हो सकते हैं.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सदियों से चली आ रही एक रस्म को बाधित नहीं किया जाना चाहिए. वहीं, ओडिशा सरकार ने कहा कि जन भागीदारी के बिना रथ यात्रा आयोजित की जा सकती है. केंद्र ने कहा कि हालात को देखते हुए कदम उठाए जा सकते हैं. राज्य सरकार यात्रा के दौरान कर्फ्यू लगा सकती है ताकि लोग सड़कों पर ना उतर पाएं.
सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह करोड़ों के आस्था की बात है. अगर भगवान जगन्नाथ कल नहीं आएंगे, तो वे परंपराओं के अनुसार 12 साल तक नहीं आ सकते हैं. श्री जगदगुरू आदिशंकराचार्य द्वारा तय किए गए अनुष्ठानों में वो सभी सेवायत भाग ले सकते हैं, जिनका कोरोना टेस्ट निगेटिव है. लोग टीवी पर लाइव टेलीकास्ट देख सकते हैं.
सुनवाई के दौरान याचिककर्ता के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि अगर सरकार पूरे एहतियात के साथ रथयात्रा आयोजित करे तो उनको कोई आपत्ति नहीं. इस पर कोर्ट ने आदेश जारी करने के लिए समय लिया. इसके बाद सीजेआई एसए बोवडे ने तीन सदस्यीय बेंच का गठन किया है, जो मामले की सुनवाई करेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने रथ यात्रा पर लगाई है रोक
18 मार्च को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबड़े ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा था कि अगर इस हालत में रथ यात्रा की इजाजत दी जाती है तो भगवान भी माफ नहीं करेंगे.
ओडिशा में रथ यात्रा का इतिहास सदियों पुराना है. इतिहासकार असित मोहंती के मुताबिक ऐतिहासिक साक्ष्य के अनुसार रथ यात्रा की शुरूआत 13 वीं शताब्दी से शुरू हुई थी. पिछले 284 वर्षों में रथ यात्रा को कभी भी रद्द नहीं किया गया है.