संपूर्ण वैश्विक परिदृश्य के सामने आज छाया हुआ कोरोना संकट संपूर्ण मानव जाति के लिए स्याह अंधेरा बन गया है और जल्द ही इसका निदान नहीं हुआ तो बड़ा अफसोस है कि हम फिर से अपने आपको खो देंगे । बहुत दुखद है कि कोरोना वायरस से संक्रमित होने और मरने वालों की संख्या दिनोदिन बढ़ती जा रही है । बेहद अफसोस की बात है कि इससे संक्रमित होने वालों की श्रेणी में तंबाकू का किसी भी रूप में उपभोग करने वाले लोगों का वर्ग भी जुड़ गया है ।
सर्व विदित है कि कोरोना वायरस का संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है l इसी प्रसंग में ज्ञातव्य है कि तंबाकू खाने के बाद मुंह में लार की मात्रा बढ़ जाती है जिसे थूकने की तीव्र इच्छा उत्पन्न होती है। खुले में इधर – उधर थूकने से गंदगी फैलती है, साथ ही कोरोना के संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है। जो लोग गुटखा खा कर पीक थूकते हैं वे इस वायरस के संक्रमण को और अधिक फैलने में मदद करते हैं। कोरोना से संक्रमित व्यक्ति के पीक थूकने से ये संक्रमण स्वस्थ व्यक्ति को भी संक्रमित कर सकता है । पीक में ऐसे कीटाणु 24 घंटे तक जीवित रहते हैं और इस दौरान यदि इसका कोई भी कण किसी स्वस्थ व्यक्ति में प्रवेश कर जाता है तो उसे भी इस बीमारी से ग्रसित होने से कोई नहीं बचा सकता।
“खुले में थूकने से कोरोना का संक्रमण फैलने की संभावना बढ़ जाती है और इसके कणों के माध्यम से कोरोना किसी भी स्वस्थ व्यक्ति पर आसानी से हमला कर सकता है | इस वाइरस से फेफड़े प्रभावित होने के कारण, शरीर के हर सेल को सही तरीके से ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं हो पाती है तथा शरीर में रक्त से कार्बन – डाइऑक्साइड नहीं निकल पाता है जिसके कारण व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है“
डॉक्टर्स का कहना है कि तंबाकू सेवन करने वाले लोगों को कोरोना से संक्रमित होने का खतरा अधिक है क्यों कि तंबाकू उपभोग के शारीरिक दुष्प्रभावों के कारण उनकी प्रतिरोधात्मक क्षमता बहुत कम होती है । तंबाकू में 72 प्रकार के कैंसर पैदा करने वाले पदार्थ पाये जाते हैं जो शरीर में 12 विभिन्न अंगों में कैंसर का कारण बन सकता है। पुरुषों में होने वाले ओरल केविटी; फेफड़े, गला, गाल तथा खाने की नली के कैंसर का प्रमुख कारण तंबाकू है, जिसके कारण उन्हें संक्रमण का अधिक खतरा होता है तथा ठीक होने के संभावना और भी कम हो जाती है ।
हाल ही में जयपुर के सवाई मान सिंह अस्पताल में एक कोरोना मरीज को अतिरिक्त देखभाल में रख कर इलाज करना पड़ा क्यों कि धूम्रपान की वजह से उनके फेफड़े सही काम नहीं कर रहे थे और उन्हें ठीक होने में अधिक समय लग रहा है ।
बहुत दुखद है कि तंबाकू सेवन का सबसे बड़ा कारण है इसकी सहज उपलब्धता जिसे राज्य सरकार अभी तक नियंत्रित करने में सफल नहीं हो पायी है ।
कोरोना संक्रमण को रोकने में तंबाकू के प्रचलन तथा विक्रय को नियंत्रित करने से कोरोना के प्रसार मे भी रोक लगेगी । विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा सरकारें इससे बचने के उपायों से जनता को जागरूक करने के साथ ही स्वस्थ जीवनशैली जीने की सलाह भी दे रहे हैं। तंबाकू उपभोगकर्ताओं को भी तुरंत तंबाकू छोड़ देनी चाहिए जिससे वे न सिर्फ कोरोना के संक्रमण से बच सकते हैं तथा स्वस्थ जीवनशैली अपना कर भविष्य में आ सकने वाली बीमारियों/ महामारियों से भी बच सकते हैं ।
अब सबसे बड़ी समस्या यह है कि तंबाकू की लत से छुटकारा कैसे मिले और फिलहाल लॉकडाउन के समय में तंबाकू की लत सताए तो किस प्रकार व्यक्ति खुद को इस नशे की गिरफ्त से छुडा ले और इस कोराना संकट को परास्त करने मे सहयोगी बने। आज नशा कोई भी हो.. इनका सेवन सेहत को नुकसान ही पहुंचाता है।
पान मसाला, गुटखा, खैनी, बीड़ी, सिगरेट, आदि की तलब को खत्म करने के लिए छोटे-छोटे उपाय हैं, उन्हें करके ऐसे लोग स्वस्थ रह सकते हैं। अदरक को छीलकर उसे कद्दूकस कर लें, कद्दूकस की हुई अदरक को फ्रिज में रख लें, जब तलब लगे तो थोड़ी अदरक निकालकर उसमें नीबू और काला नमक मिला लें, इसे सुरती की तरह गाल में दबा लें, इसके सेवन से जो आनंद मिलता है वह वैसा ही होता है जो गुटखा खैनी खाने से लगता है।
इसी प्रकार सौंफ, लौंग, इलायची, मिश्री का मिश्रण बना कर लें, इससे गले को भी आराम मिलेगा। इस मिश्रण में काली मिर्च, छोटी पीपरी 2 पीस भी डाली जा सकती है, इसकी तीन-चार खुराक दिन भर के लिए बनाकर रख लें तथा सुरती की तरह मुंह में दबाये।
इसी तरह सुबह शौच से निवृत्त होने से पहले नशा करने वाले लोग भी इस व्यसन से छुटकारा पा सकते हैं। बहुत से लोग यह कहते हैं कि बिना सिगरेट पीये या तम्बाकू खाये शौच इत्यादि से निवृत नहीं हो पाते। इसके लिए ऐसे लोगों को चाहिये कि पपीता खायें, ईसबगोल की भूसी, हरी सब्जियां, आटे का चोकर खायें, मैदा ज्यादा न खायें। अगर उन्हें कब्जियत की दवा ही लेनी पड़े तो अपने फैमिली डॉक्टर से कन्सल्ट करके दवा ले सकते हैं।
डायबिटीज वाले मरीज जो इन नशों का सेवन करते हैं, उन्हें खासतौर से कब्जियत की शिकायत होती है, ऐसे लोग साबुत अनाज, फल खायें, फल न मिले तो गोभी, शिमला मिर्च आदि सब्जियों को उबाल कर रोज एक कटोरी खायें।
एक विचारणीय बिंदु यह भी है कि कुछ लोग कहते हैं कि तनाव दूर करने के लिए नशा करते हैं और यह स्वयं सिद्ध है कि
तनाव, उलझन होने की स्थिति में व्यायाम बहुत फायदा करता है, क्योंकि व्यायाम करने में जो हार्मोंस पैदा होते है वह खुशी देने वाला होता है, यानी व्यक्ति को खुशी महसूस होती है, व्यायाम करने से घबराहट भी कम हो जाती है क्योंकि रक्त प्रवाह बढ़ता है, दिमाग में भी खून का प्रवाह बढ़ता है जो हार्मोंस प्रवाहित होते है उससे घबराहट, उलझन और हताशा जैसी चीजें दूर होती हैं।
आज यह भलीभांति समझ लेना जरूरी है कि तलब पूरी न होने का प्रभाव मनोवैज्ञानिक है शारीरिक नहीं। आज यह अच्छा अवसर है कि अगर दुनिया में रहना है तो हमें कोरोना महामारी से बचना है तो तंबाकू इत्यादि व्यसनों को छोड़ना है, घर मे प्रयुक्त उपायों को अपनाना ही होगा आज यह इस विपरीत परिस्थितियों के परिप्रेक्ष्य में यह नितांत आवश्यक है।
राजेश हिरन
मैनेजर एडवोकेसी
वाग्धारा
जयपुर
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