दोस्ती
अंजान गलियों का हमराही है, दोस्त।
हर दर्द हर हमदर्द में साथी है, दोस्त।
रिस्ता भले न हो खून का हमारा उनसे,
पर हर सुख दू:ख का साथी है ,दोस्त।
जिंदगी के राहों पर जब हम चलते हैं ,
संकरी गलियों में चलना सिखाता है दोस्त।
जब कभी आप पर कोई हाथ उठाता है
हाथ रोककर, हिफाजत करता है दोस्त।
कभी ये जिंदगी,तन्हा हो जाती है जब,
तो हमारी जिंदगी में,रौनक देता है दोस्त।
जिंदगी में कितनें भी आसमान छूलें हम,
दो मुठ्ठी चने के बदले,अपना राज्य लुटाता है दोस्त।
दोस्ती का रिश्ता है जग में सबसे प्यारा,
जो दिल से दिल तक का फासला मिटाता है दोस्त।