जिला मुख्यालय से सटे मियांपुर में महिला के पास कार्ड ना होने से नही मिलता राशन
*प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभ से वंचित रहती है तबेले में।
*पति के छोड़ने पर माँ-बाप ने रहने को दिया तबेला।
जौनपुर।कोरोना महामारी के चलते दिहाड़ी कमाई करने वालों के लिये भोजन का संकट ना बने इसके लिये सरकार व जिला प्रशासन लगातार आकड़े प्रस्तुत कर रहा जबकि अभी भी कई गरीब ऐसे भी जिनकी सुधि लेने वाला कोई नही है।जिला मुख्यालय के बगल में स्थित मियांपुर मोहल्ला में भैंस के तबेले में अपने दो बच्चों के साथ रहने वाली रेनू की भी कुछ ऐसी ही स्थिति है,गन्ने का रस बेचने वाले मां-बाप पर आश्रित उक्त महिला लॉक डाउन में फांकाकशी को मजबूर है।इस महिला का हाल पूछने वाला शायद कोई नही है,ना ही इसका अभी तक राशन कार्ड बना है,ना ही प्रधानमंत्री आवास योजना का ही लाभ मिला,पंजीकृत श्रमिक ना होने के कारण आर्थिक लाभ भी इसे नसीब नही हुआ।
चिराग तले अंधेरा की कहावत चरितार्थ करती इस दुर्व्यवस्था के लिये कौन जिम्मेदार है।
जिला मुख्यालय से सटे महज चंद कदम की दूरी पर स्थित मियांपुर मोहल्ला में अपने दो बच्चों के साथ रहने वाली रेनू को पति के छोड़ने के बाद माँ बाप ने सहारा देते हुये भैस के तबेले में आसरा दे दिया।रेनु के पिता जो कि गन्ने का रस बेचने का काम करता है,तो वहीं उसके भाई किराये के ऑटो चलाते हैं।दोनों भाइयों की शादी तथा उनके बच्चे होने के कारण दो कमरे के मकान में रेनू को जगह तो नही दे पाए लेकिन उसके दोनों बच्चों व उसके भोजन की व्यवस्था पिता और भाई कर देते थे।लॉक डाउन में जूस की दुकान व ऑटो सब बन्द हो जाने से परिवार पर आर्थिक संकट आया तो उसका पहला असर रेनू पर ही पड़ा।आश्चर्यजनक किन्तु सत्य कि इस रेनू समेत इस परिवार का ना तो राशन कार्ड बना है और ना ही इन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना का ही लाभ मिल पाया है जबकि इनके घर के आस पास कई प्रधानमंत्री आवास योजना के आवास बने हैं।ऐसे में प्रश्न यह भी उठता है कि क्या प्रधानमंत्री आवास योजना का सर्वे करने वालो को ये आश्रित नही दिखाई पड़े।