हम झुंझुनूं है वहीं झुंझारू झुंझुनूं जो सीमा पर दुश्मनों के दांत खट्टे कर देता है, वही झुंझुनूं जो कभी झुकता नहीं, रूकता नही। हमारे प्रवासी बंधु अपने स्वदेश आ रहे हैं और जन्मभूमि भी सभी को पुकारती है। हो सकता है कि जाने अनजाने उनके साथ कोरोना की पीड़ा भी आए पर हमे मजबूती के साथ तमाम सावधानी अपनानी है। शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनना है। जिंदगी में इतनी लड़ाइयों की तरह हमारी एक और लडाई सही। हमे जीतना है और प्रशासन के सहयोग से हम बनेंगे फिर से कोरोना मुक्त झुंझुनूं। झुंझुनूं बड़े दिल वालों की सरजमीं है और आज भी प्यार और सहयोग बरकरार रखते हुए दिल में दूरियाँ नही बनानी है बस सुरक्षित रहने के लिए शारीरिक दूरियाँ ही बरकरार रखनी है जिसे हम फिजिकल डिस्टेंस भी कह सकते हैं। हमे ज्यादा कुछ नहीं करना बस इतना ध्यान रखना है कि कोई भी प्रवासी बाहर से आए तो सरकार द्वारा निश्चित व्यवस्था का पालन करना है क्योंकि यह हम सब की सुरक्षा के लिए आवश्यक है। यदि उन सबकी आवश्यक सावधानी के बाद भी कोई व्यक्ति कोराना पीड़ित हो जाता है तो हम उसके प्रति एक गरीमामय व्यवहार रखे, संवेदनशील मनुष्य का परिचय दे। बीमार व्यक्ति को सहानुभूति की आवश्यकता होती है और उसे मानसिक रूप से अकेलेपन की सजा न दी जाए। फिजिकल डिस्टेंस की पालना करते हुए व्यक्ति विशेष के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण रखा जाए।
हम तो सदैव संवेदनशील रहे हैं इसलिए जब भी किसी कोरोना मरीज को क्वारांटाइन या आइसोलेशन के लिए ले जाया जा रहा हो तो बजाय उनकी वीडियोग्राफी करके उन्हें अपराधी जैसा अनुभव कराने का, बल्कि अपनी बालकनी या घर के दरवाजे से आवाज लगाकर, ताली बजाकर, हाथ उठाकर,
हौसला अफजाई करने वाले अंदाज में उन्हें जल्दी ठीक होने का आश्वासन दे, उन्हें धैर्य बंधाए, उन्हें सकारात्मक सहयोग देते हुए जल्द ठीक होकर घर वापिस आने की शुभकामनाएँ दें । वे बीमार है कोई अपराधी नहीं, उनकी इज्जत करें।उनके लिए प्रार्थना करें। उन्हें खुद के अच्छे पडौसी , मित्र होने का अहसास दिलाएं।Get well soon कहें।
ऐसा करने से उन्हें तो अच्छा लगेगा ही आपको भी शांति प्राप्त होगी, क्योंकि इस स्थान पर हम में से कोई भी हो सकता है। जो भी होगा हमारा अपना ही होगा। अगर मनोबल ऊंचा होगा तो कोई भी अपनी बीमारी नही छुपाएगा।
यह बीमारी दवा से कम मनोबल से ज्यादा ठीक होती है।इसलिए हम एक दूसरे का मनोबल बढ़ाएं।
आज समाजमित्ती सिद्धांत के नवाचारों की आवश्यकता है और हम सभी जानते हैं कि अलगाव अवसाद की उपज है। हमारे प्रशासक, चिकित्सक, पुलिस, भामाशाह, समाज सेवी सभी अपने अपने क्षेत्र में कोरोना को हराने में लगे हुए हैं और अब हमे भी इस युद्ध में प्रशासन का सहयोग करना है। आज कोरोना संकट स्वयं मे एक अनुशासन है जिससे बचने के लिए मास्क हो या सेनेटाइजर जो भी आवश्यक सावधानी रखनी है। कोशिश करे कि घर से न निकले पर निकलना हो तो दो गज की दूरी का ध्यान रखे। आज परिस्थितियों के सत्य को स्वीकार करने की आवश्यकता है।आज हम सभी शपथ ले कि मिलकर हम सभी संवेदनशील मनुष्य का परिचय देते हुए प्रशासन के साथ सहयोगी बनेंगे और कोरोना को जड़ से हटाएंगे।
डॉ भावना शर्मा
मोदियो की जाव
झुंझुनूं राजस्थान
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