संकल्प सवेरा आपका सभी का स्वागत करता है
मैं देखूं जब भी नारी को ,
नया कुछ सीखता हूँ मैं
बसों जो माँ की ममता में जगत में अद्वितीय हो तुम ,
तुम्हारे कदमो में झुकाकर सर , जगत को जीतता हूँ मैं
मैं देखूं जब भी नारी को..
बसों जो बहना की राखी में , स्नेह का बीज खिल जाए , कि, सर पर हाथ रख तेरे कर्तव्य सीखता हूँ मैं
मैं देखु जब भी …
बसों जो धड़कनों में तुम , बनो अर्धांगिनी मेरी,
पकड़कर हाथ हाथों में , खुशी को चूमता हूँ मैं
मैं देखु जब भी ….
बसों जो दोस्ती में तुम , बन जाओ सखा मेरी ,
है कितने रूप जीवन के , तेरे संग ढूंढता हूँ मैं
मैं देखूं जब भी….
है हर रूप में शक्ति , है हर रूप में पावन
जो नारी है तभी सम्भव हुआ इस धरती पर जीवन ,
चाहे जिस रूप में मिलो , तुम्हें हां पूजता हूँ मैं
मैं देखु जब भी नारी को नया कुछ सीखता हूँ मैं …..