संकल्प सवेरा,जौनपुर।उ0प्र0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ के निर्देशानुसार जनपद न्यायाधीशध्अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण एम0 पी0 सिंह के संरक्षण एवं अनुमति से जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्ववाधान में बन्दियों को विधिक जानकारी प्रदान कराने हेतु सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण
श्रीमती शिवानी रावत, की अध्यक्षता में 25 नवम्बर 2021 को समय अपराह्न 1ः00 बजे वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिला कारागार, जौनपुर का वर्चुअल निरीक्षण एवं विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया।
डिप्टी जेलर द्वारा बताया गया कि जिला कारागार में कुल 1223 बन्दी है जिसमे 1116 पुरूष तथा 57 महिला तथा 50 किशोर बन्दी हैं। 03 सिद्धदोष एवं 54 विचाराधीन महिला बन्दी हैं जिसमें से महिला बन्दियों के साथ 15 बच्चे हैं। जेल अस्पताल में 26 बन्दियों का इलाज चल रहा हैं,
कोई भी बन्दी गम्भीर रूप से बीमार नहीं है। साफ-सफाई के सम्बन्ध में पूॅछताछ करने पर बताया गया कि 23 नवम्बर 2021 को जेल परिसर एवं बैरकों में फागिंग करायी गयी है। जेल अधीक्षक को निर्देशित किया गया कि संक्रामक रोगों से बचाव हेतु नियमित अन्तराल पर परिसर एवं बैरकों की साफ-सफाई कराते रहें। महिला एवं पुरूष बन्दियों से वार्तालाप में बन्दी सिन्टू शर्मा द्वारा निःशुल्क अधिवक्ता प्रदान कराये जाने की याचना किये जाने पर जेल अधीक्षक को उक्त बन्दी का प्रार्थना पत्र जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में प्रेषित किये जाने हेतु निर्देशित किया गया।
सिद्धदोष बन्दियों की अपील के सम्बन्ध में पूॅछे जाने पर बताया गया कि सभी बन्दियों की अपील व्यक्तिगत रूप से की जा चुकी है।
सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्रीमती शिवानी रावत द्वारा नालसा की योजनाओं के बारे में जानकारी प्रदान कराते हुए बताया गया कि ऐसे गरीब, असहाय वर्ग के बन्दी जो धन के अभाव में अपने वादों की पैरवी हेतु वकील कर पाने में असमर्थ हो वह जेल में स्थापित लीगल एड क्लीनिक अथवा कारागार अधीक्षक के माध्यम से जिला विधिक सेवा प्राधिकरण,
जौनपुर में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर निःशुल्क अधिवक्ता प्राप्त कर सकते हैं। जेल अधीक्षक को निर्देशित किया गया कि ऐसे बन्दियों को चिन्हित कर उनके प्रार्थना पत्र प्रेषित कराना सुनिश्चित करें।
सचिव द्वारा गिरफ्तार व्यक्तियों के अधिकारों के बारे में बताया गया कि पुलिस द्वारा गिरफ्तार करने की स्थिति में गिरफ्तारी के कारण की सूचना देना तथा जमानतीय प्रकृति के आरोप में पुलिस द्वारा तत्काल जामानत का प्रावधान व गैर-जमानतीय प्रकृति के आरोप में 24 घण्टे के भीतर मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत करना अनिवार्य है तथा गिरफ्तारी या निरूद्ध करने की सूचना आपके परिवारजन या निकटतम मित्र को लिखित में देना आवश्यक है।
हिरासत के दौरान आपकी पसन्द के अधिवक्ता से विधिक राय हेतु मिलने या सलाह का अधिकार व गिरफ्तारी के पश्चात चिकित्सीय परीक्षण करवाने का अधिकार प्राप्त है।
सचिव द्वारा यह भी बताया गया कि जेल में निरूद्ध बन्दियों के परिजन जेल प्रशासन को 72 घण्टे के अंदर आरटीपीसी आर जॉंच रिपोर्ट दिखाकर जेल में निरूद्ध अपने परिजन बन्दी से मुलाकात कर सकेगे।