70 साल की उम्र में भी प्रशिक्षण का लौ जगाए हैं त्रिभुवनपति
7 वर्षो से निःशुल्क दे रहे बच्चों को प्रशिक्षण
श्री गांधी स्मारक शारीरिक शिक्षा प्रशिक्षण महाविद्यालय समोधपुर से हुए हैं सेवानिवृत
गभिरन,संकल्प सवेरा शिक्षक कभी भी रिटायर नही होता बल्कि सेवामुक्त होने के बाद जिम्मेदारी बढ़ जाती हैं। यह चरितार्थ कर रहे हैं अवकाश प्राप्त प्रशिक्षक त्रिभुवनपति तिवारी 70 वर्ष की उम्र प्रशिक्षण की लौ जगाने वाले प्रशिक्षण के यह सारथी रिटायर होने के बाद भी 7 साल से अनवरत अपने गांव के खेल मैदान में सुबह पहुँचकर नव युवकों के द्वारा पुलिस व आर्मी अथवा पीएसी की तैयारी कर रहे बच्चों को निःशुल्क प्रशिक्षण देते हैं।
क्षेत्र के उसरौली गांव निवासी त्रिभुवन पति तिवारी 20 सितम्बर 1978 को श्रीगांधी स्मारक शारीरिक शिक्षा प्रशिक्षण महाविद्यालय समोधपुर में बतौर प्रशिक्षक पद पर नियुक्त हुए थे। शुरू से ही अपनी ईमानदारी, लगन कड़ी मेहनत के चलते बच्चों में ही नही बल्कि समाज में एक अलग पहचान बना चुके थे। अच्छे प्रशिक्षण ब्यवस्था के साथ ही राष्ट्रीय कार्यक्रमों में अथवा मंडल स्तरीय व जिला स्तरीय खेलकूद कार्यक्रमो में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते थे।
परिणाम स्वरूप उत्कृष्ट कार्य के चलते इनको कई बार सम्मानित भी किया जा चूका हैं। वह 30 जून 2015 को सेवानिवृत होने के बाद भी प्रतिदिन प्रशिक्षक की तरह सुबह दो से तीन घन्टे अपने गांव में खेल मैदान में जाकर खेलकूद दौड़, शारीरिक ब्यायाम , वालीवाल, फुटवाल, लांगजम्प, हाईजम्प, जैसी बिभिन्न प्रकार की तैयारी का शिक्षण प्रशिक्षण देते हैं। उनका रोजाना खेल मैदान में जाकर निःशुल्क प्रशिक्षण देना आज के प्रशिक्षकों को प्रेरणा देने के समान हैं। हिन्दुस्तान टीम से बातचीत में त्रिभुवनपति तिवारी ने कहा की हमारे द्वारा यह कार्य अंतिम साँस तक चलता रहेगा। और बताया हमारा द्वारा अब तक प्रशिक्षित दो बच्चे उत्तर प्रदेश पुलिस में तथा दो बच्चे पीएसी में कार्यरत हो चुके हैं। तिवारी आज के प्रशिक्षकों को आइना दिखाने का काम कर रहे हैं।
तैयारी कर रहे बच्चे बोले सर जी आदर्श
श्रीगांधी स्मारक शारीरिक शिक्षा प्रशिक्षण महाविद्यालय समोधपुर से सेवानिवृत होने के बाद भी 7 वर्ष से बच्चों को निःशुल्क प्रशिक्षण दे रहे हैं। त्रिभुवनपति तिवारी के बाबत तैयारी कर नीरज, आदर्श, रोहित, सचिन, सचिन वेनवंशी, संतोष, भोले, धीरज, गौरव, सुमित, गोलू, लवकुश, हरिओम, दुर्गेश, अंकुश,पवन आदि बच्चों ने कहा सर जी हमारे गांव के सभी बच्चों के लिए आदर्श हैं। उनके प्रशिक्षण का तरीका ही अलग हैं। तैयारी के लिए सभी बिधि हम लोगो को उनके द्वारा बताई गयी सभी बिधि आसानी से समझ में आ जाता हैं।बच्चों ने बताया सर मैदान में शिक्षक की तरह प्रतिदिन आकर हम लोगो को दो से तीन घँटे सुबह प्रशिक्षण देते हैं।
क्या बोले अभिभावक
अभिभावक व ग्रामीण ईशनारायण, विनोद, अहकू, अरविन्द, सुनील कुमार, स्वतंत्र कुमार, मुन्ना, शिवम , अरुण कुमार, आदि का कहना हैं कि सर जी आज भी एक शिक्षक की तरह खेलकूद मैदान में सुबह पहुंचकर बच्चों को शिक्षण प्रशिक्षण ही नही बल्कि अनुशासन व नैतिक शिक्षा का भी पाठ पढ़ाते हैं।