स्वरचित लेख-
“कहने वाले कहते रहेंगे”-संगीता यादव
सुनी सुनाई बातों पर मैं
ध्यान नही रखती,
बढ़ रही हूँ और बढ़ती रहूंगी
मैं जेहन में अपने गुमान नही रखती
यूं तो कहने वाले कहते रहेंगे
कुछ भी मगर
मैं कहावतों पर अपने कान नही रखती
जिन्हें करना हो हासिल झूठा शान-ओ-शोहरत
वो तलवे चाटे
मैं ऐसे कभी खोखले अरमान नही रखती
दूसरों के वजूद से हो नाम जिनका
मैं ऐसी झूठी पहचान नही रखती
वो बड़ी बातें कर के रिझाते हैं सबको
मैं गज भर जमीन में सारा आसमान नही रखती
दूसरों की खुशियों से जलता हो दिल जिनका
मैं वैसा खुदगर्ज़ ईमान नही रखती
होती है खुशी मुझे दूसरों की खुशी से
मैं लबों पर झूठी मुस्कान नही रखती
यूं तो भूत-भविष्य की चिंता मुझे भी है
पर मैं गर्त में अपना वर्तमान नही रखती
जब मिलना होगा मिल ही जाएगा मुक़द्दर मेरा
मैं दांव पर अपने अभिमान नही रखती
जिसे देखते ही ताज़ा हो जाए घाव गहरे
मैं ऐसे कभी कोई निशान नही रखती
है यकीं मेरा भी ऊपर वाले में बहुत
मैं दिखावे के लिए गीता कुरान नही रखती…
🌿मेरे मनोभाव कलम की बानगी से:—
संगीता यादव
पूर्व राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त
उत्तर प्रदेश