संस्कृति विभाग मप्र शासन से लोक में श्री राम विषय पर डॉ. कृष्णगोपाल मिश्र का व्याख्यान प्रसारित
संकल्प सवेरा, भोपाल। संस्कृति विभाग मध्यप्रदेश शासन एवं जनजातीय लोक कला बोली विकास अकादमी द्वारा संचालित तुलसी शोध संस्थान, चित्रकूट में भक्ति के बहुआयामी विषय केन्द्रित व्याख्यान का आयोजन प्रत्येक माह किया जा रहा है। इसी श्रृंखला में 5 अक्टूबर को लोक में श्रीराम विषय पर डॉ. कृष्णगोपाल मिश्र, होशंगाबाद का व्याख्यान हुआ।
लोक में श्रीराम की व्याप्ति पर प्रकाश डालते हुए डॉ. कृष्णगोपाल मिश्र ने रामकथा के भौगोलिक और साहित्यिक विस्तार पर चर्चा की उन्होंने कहा कि राम का स्वरूप भारत से लेकर उसके समस्त निकटवर्ती देशों में उपस्थित है।
जावा, सुमात्रा, कंबोडिया, मॉरीशस, मलेशिया आदि अनेक देशों तक रामकथा की व्याप्ति देखी जा सकती है। हजारों साल पहले महा ऋषि वाल्मीकि ने संस्कृत में राम के विश्वरूप की प्रतिष्ठा की वह स्वरूप समय के साथ विकसित होता हुआ समस्त भारतीय भाषाओं में थोड़े बहुत अंतर के साथ प्रस्तुत हुआ है
और निरंतर हो रहा है आज 21 वी शताब्दी में भी राम के स्वरूप और उनके कार्यों पर ग्रंथ रचे जा रहे हैं। लोक में राम के नाम पर सबसे अधिक नामकरण मिलते हैं अभिवादन पद के रूप में राम का स्मरण किया जाता है लोग राम की कसम खाते हैं।