लखनऊ। समाजसेवी और लोकप्रिय शिक्षाविद पवन सिंह चौहान सिंह की सक्रियता को देखेकर कोई भी आश्चर्य में पड़ सकता है। सिंह स्वास्थ्य और सेहत को लेकर बहुत ही सचेत रहते हैं।
– जब कदम बढ़ाया तो रुकने का नाम नहीं लिया
सिर्फ 700 रुपये की कुल जमा पूंजी से चाय का होटल खोलकर व्यवसाय में कदम रखने वाले पवन सिंह चौहान आज यूपी के “यूथ आइकॉन” बन चुके हैं। उन्होंने अदम्य साहस, अटल धैर्य, अथक मेहनत और अनकही ईमानदारी के दम पर सैकड़ों का व्यवसाय करोड़ों में पहुंचा दिया। उन्होंने यह सबकुछ एक छोटी सी अवधि में कर दिखाया। ईंट भट्ठे, आवास निर्माण, फ़िल्म निर्माण सहित अन्य व्यवसाय में सिद्धहस्त पवन सिंह ने एसआर इंजीनियरिंग कॉलेज, एसआर बिजनेस स्कूल और एसआर ग्लोबल स्कूल के माध्यम से उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाके में टॉप क्लास की शिक्षा देने का बीड़ा उठा रखा है।
युवाओं को उनकी योग्यता के अनुरूप नौकरी दिलाने का मिशन अलग से संचालित कर रहे हैं। वह हर साल तकरीबन पांच हजार युवाओं को नौकरी दिलाते हैं।
वह अपने को एक सफल बिजनेसमैन कहलाने के बजाय साधरण समाजसेवी कहलाना पसन्द करते हैं। इधर, वह कुछ वर्षों से अपना 60 प्रतिशत समय समाजसेवा में दे रहे हैं। वह गरीब घरों के बच्चों को शिक्षित करने का भी मिशन चला रहे हैं। हर घर तक शिक्षा-संस्कार-रोजगार पहुंचाने के लिए अपने एसआर ग्रुप को सक्रिय कर रखा है। इस ग्रुप में काम कर रहे करीब तीन हजार अधिकारी/कर्मचारी अपनी अलग पहचान रखते हैं। हजारों बच्चे इस ग्रुप की आन-बान-शान हैं। कहा जाता है कि हर सफल पुरुष के पीछे किसी न किसी महिला का हाथ होता है। पवन सिंह की इस अपरिमित सफलता के पीछे पत्नी श्रीमती निर्मला सिंह की अहम् भूमिका है। उनकी दोनों संतानें भी परहित में अभी से ही लग गयी हैं। नेत्र सर्जन बेटी डॉ. पल्लवी सिंह वागा हॉस्पिटल में रोगियों की सेवा में जुटी हैं। वहीं, बेटा पीयूष सिंह चौहान ने यूपी में पहली बार 24 घन्टे खुले रहने वाले आरओदी मॉल की चेन खोलकर इतिहास रच दिया है।
नगर पंचायत बख्शी का तालाब के मामपुर बाना निवासी सिफर से शिखर पर पहुंचे इस “राजऋषि” का आज जन्मदिन है। इनके जीवन से समाज और युवाओं को सीख लेने की जरूरत है।