… तो सिफारिश से भाजपा जिलाध्यक्षों की सूची अटकी?
संकल्प सवेरा। उत्तर प्रदेश में भाजपा संगठन चुनाव निष्पक्ष कराने के दावे के इतर प्रदेश भाजपा के जिलाध्यक्षों की सूची मंत्रियों, विधायकों सांसदों और बड़े नेताओं की पसंद-नापसंद के चक्कर में अटक गई है। नतीजतन जिलाध्यक्षों के चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने के 15 दिन बाद भी सूची जारी नहीं हो पाई है। यही नहीं, कई जिलों में जिलाध्यक्ष चुनाव के लिए तय मानकों की अनदेखी कर सूची में नाम शामिल कराने की बात भी उठने लगी है।
सूत्रों के मुताबिक, 50 से ज्यादा जिलों में नेताओं के बीच अपने खेमे का अध्यक्ष बनवाने की होड़ है। बता दें कि संगठन की चुनाव प्रक्रिया समझाने के लिए प्रदेश स्तर से लेकर जिला स्तर तक कार्यशालाएं हुई थीं। यही नहीं, एलान किया गया था कि चुनाव में उन कार्यकर्ताओं को तरजीह दी जाएगी, जो शुद्ध रूप से भाजपा या संघ परिवार के कार्यकर्ता रहे हैं।
एलान किया गया था कि संगठन चुनाव में मंत्री, नेता या विधायक की सिफारिश नहीं चलेगी। जमीनी स्तर पर फीडबैक जुटाकर नाम तय किए जाएंगे। तय समयसीमा में चुनाव कराने के लिए चुनाव अधिकारियों ने समयसारिणी भी जारी की थी। चुनाव प्रक्रिया 10 जनवरी तक और सूची जारी करने का समय 15 जनवरी तय था, लेकिन अब तक सूची जारी नहीं हुई है
सूत्रों का कहना है कि फाइनल सूची तैयार हो गई है, लेकिन सिफारिशों के कारण सूची अटक गई है। ऐसे 50 से अधिक जिले हैं, जिनमें सिफारिशी नामों को पैनल में शामिल कर दिया गया है। कहीं दूसरे दलों से भाजपा में आए नामों के लिए दबाव है तो कहीं दोबारा कमान दिलाने की सिफारिश है। कई विधायक, सांसद चुनाव के बहाने विरोधियों को निपटाने में भी जुटे हैं।
कई जिलों में क्षेत्रीय अध्यक्षों पर भी नियमों की अनदेखी कर पैनल भेजने के आरोप लग रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि दावेदारों में शामिल पुराने और काडर कार्यकर्ताओं में गुस्सा है। उनका कहना है कि अगर जिलाध्यक्ष की सूची में पात्रता की अनदेखी हुई तो बगावत तय है। इसका असर विधानसभा चुनाव 2027 की तैयारियों पर भी पड़ सकता है।
एक-दो दिन में आ सकती है सूची
सूत्रों का कहना है कि भाजपा के जिलाध्यक्षों की सूची एक-दो दिन में जारी हो सकती है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और महामंत्री संगठन धर्मपाल दिल्ली से लौट आए हैं। बताया जा रहा है कि हाईकमान ने प्रदेश स्तर से भेजी सूची पर मुहर लगा दी है।