फैशन बन गया है नशा
संकल्प सवेरा देश का युवा वर्ग आज नशे की गिरफ्त में फंसता जा रहा है। इसका एक कारण है सहनशक्ति की कमी। युवा आजकल बहुत जल्दी अपना हौसला खो देते हैं, जिसका परिणाम यह होता है कि वे डिप्रेशन में चले जाते हंै और फिर वे नशे की गिरफ्त में फंस जाते हैं। माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों को हालात से लडऩा सिखाएं और उन्हें मजबूत बनाएं। दूसरा बड़ा कारण ये है कि आजकल नशा फैशन बनता चला जा रहा है। गलत संगत में पड़कर नशे को फैशन मान लेना युवा वर्ग की सबसे बड़ी कमजोरी है। दूसरों की देखा-देखी भी लोग नशा करने लग जाते हैं। अपने आपको आधुनिक बनाने के लिए नशे का सहारा लेने लगते हैं, जो कि गलत है। युवा वर्ग की कमजोर सोच का फायदा उठाते हुए नशे के व्यापार में लगे हुए लोग उन्हें नशे के लिए प्रेरित करने लग जाते हैं। इसके लिए जरूरी है कि युवा अपने आपको मजबूत बनाएं और गलत संगति से बचें।
अनदेखी का परिणाम
आज देश में सबसे बड़ी चिंता की बात यह है की युवा पीढ़ी नशे के जाल में जकड़ती जा रही है। देश में नशीले पदार्थों के उत्पादन से लेकर तस्करी बढ़ रही है। कई युवा इस नशे के शिकार हो रहे है। इसके मुख्य दोषी माता-पिता हैं, जो अपने बच्चों के कुकृत्यों की अनदेखी करते हैं। बच्चों को पैसा देकर अच्छे कॉलेज, संस्थानों में भर्ती करवा देते हैं और अपनी जिम्मेदारी की इतिश्री मान लेते है। बच्चा कहां जा रहा है, कैसे रह रहा है, इसका कुछ भी ध्यान नहीं रखते हंै। इससे बच्चे कुसंगति का शिकार हो जाते हैं और नशे की गिरफ्त में भी आ जाते हंै। परिवार और समाज स्तर पर इस बुराई को नष्ट करने के प्रयास होने चाहिए।
नशे के मकड़जाल में फंस रहा युवा वर्ग
युवा नशे के मकड़जाल में फंसकर बर्बादी के कगार पर पहुंच रहे हैं। इससे उनकी सेहत तो खराब हो ही रही है साथ ही उनका सामाजिक स्तर भी गिरता जा रहा है। लोगों की मानें तो नशे का सामान मेडिकल स्टोरों और बुक डिपो आदि पर आसानी से उपलब्ध हो जाता है। इस पर रोक लगाने के लिए खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग की ओर से बार-बार कार्रवाई की जाती है, लेकिन इसके क्रेता और विक्रेता अपनी आदत में बदलाव लाने को तैयार नहीं हैं।
युवा वर्ग नशे के दलदल में फंसता जा रहा है। नशाखोरी की आदत 12 से 20 साल तक के युवाओं में अधिक देखने को मिल रही है। इससे आने वाली पीढ़ी के भविष्य पर संकटों के बादल मंडराने लगे हैं।
चिकित्सकों की मानें तो कुछ लोगों के जहन में ये बात आने पर कि उनका बच्चा किसी नशे की लत में लग गया है तो वे उसे नशा मुक्ति केंद्र पर डालने की कोशिश करते हैं। इससे उसकी यह आदत बिल्कुल भी नहीं छूटेगी। क्योंकि नशे की आदत छुड़ाने का सही इलाज चिकित्सकों के पास ही है। चिकित्सकों का यहां तक दावा है कि कुछ दिनों उपचार करने के बाद पूरी तरह से नशे से आजादी पाई जा सकती है।
मेडिकल स्टोरों से नशे की गोली आसानी से मिल जाती हैं युवा व्हाइटनर यानी फ्लूड हाथ पर लगाकर या फिर रुमाल आदि के माध्यम से उसे सूंघकर नशा करते हैं।
साथ ही कफ सीरप कोरेक्स, दर्द निवारक आयोडेक्स को ब्रेड पर लगाकर खाते हैं। इसके कुछ देर बाद ही नशा होना शुरु हो जाता है।
हालांकि कुछ युवा शराब को दावत का अहम हिस्सा मानते हैं और शराब पीकर भी नशे का आनंद लेते हैं।
लेकिन शराब पीने वालों से ज्यादा भांग का गोला, चरस, अफीम, स्मैक आदि का इस्तेमाल करते हैं।