पबजी खेल: खत्म कर रहा खेल प्रो. आर एन सिंह
वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक
बी. एच. यू.,वाराणसी
संकल्प सवेरा ,जौनपुर आजकल बच्चों में पबजी गेम बेहद आकर्षण का विषय हो चुका है। इस गेम का पूरा नाम “प्लेयर अननोन बैटल ग्राउंड्स” है, यानी अज्ञात खिलाड़ियों के युद्ध का मैदान है|यदि इसकी तह में जायेंगे तो इसका असली रूप कुछ ऐसा ही है|इसे दक्षिण कोरियाई कंपनी पब्जी निगम ने विकसित किया और २० दिसंबर २०१७ को लॉन्च किया|
आज बहुत सारे बच्चे इस जाल में फंस चुके हैं और इसकी लत के शिकार हैं|यह एक ऑनलाइन गेम है| इतना ही नहीं, अनेक वयस्क भी इसकी गिरफ्त में हैं।इसमें अनेक अज्ञात खिलाड़ी अपने लक्ष्यों का पीछा करते हुए आगे बढ़ते हैं| ऐसे में अगर कोई बाधा आती है तो उसे भी रास्ते हटाना होता है| इस कारण खिलाड़ियों में एक दूसरे के प्रति गुस्सा और शत्रुता भी बढ़ती है|कई सरकारों ने इसे प्रतिबंधित भी किया है। इसका दुष्प्रभाव कल्पना के बाहर है।
पबजी गेम में एक सौ खिलाड़ियों को पैराशूट के द्वारा किसी द्वीप पर उतरकर विभिन्न प्रकार के हथियार खोजते हैं और स्वयं की रक्षा करते हुए दूसरों को मारने का काम करते हैं| विजई वह होता है जो अंततः बच जाता है|
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पबजी खेल अभी तक कई बच्चों का खेल खत्म कर चुका है, बच्चों में इसकी लत पड़ती जा रही है, उनमें नकारात्मकता एवं हिंसा की प्रवृत्तियां बढ़ रही हैं और वे माता पिता या परिवार के अन्य सदस्यों के प्रति अवज्ञा के भाव रखने लगते हैं| उनके लिए उनका गेम ही दिली प्राथमिकता बन जाता है, वे उसमे किसी भी तरह का व्यवधान पसंद नहीं करते हैं|उनमें भावनात्मक अस्थिरता आ जाती है, इसमें वे कभी कभी जोखिम भरे कदम भी उठा लेते हैं|जैसे, लोगों से विरत रहना, अकेले में रहना पसंद करना, दबाव पड़ने पर घर से भागना या मारपीट पर आमादा हो जाना आदि।
पबजी गेम खराबियों का खतरनाक भंडार है। इस चक्रव्यूह में फंसे बच्चों में अनेक प्रकार की मानसिक एवं व्यावहारिक विकृतियां पनपने लगती हैं। जैसे बात बात पर गुस्सा या हिंसा का प्रदर्शन, गेम में ऐसे खो जाना की किसी काम पर ध्यान नहीं जाना, परिवार या सामाजिक संबंधों से खींचे खींचे रहना, सेहत संबंधी गलत आदतें बढ़ जाना, मानसिक सेहत बिगड़ना, नीद में बाधा, संबंधों में बिगाड़, पढ़ाई या काम से विमुखता या किसी अन्य काम के लिए समय नहीं निकाल पाना आदि जैसी खराबियों के इस गेम से पैदा होने का खतरा रहता है।
पबजी गेम की लत पड़ने के कई भयानक दुष्परिणाम भी देखने को मिल रहे है, जो कल्पना के बाहर है। अभी छः जून की बात है कि लखनऊ में एक किशोर ने गेम में मां को बाधा मानते हुए, मां की हत्या कर दी, परंतु उसके चेहरे पर सिकन नहीं, दोस्तों के साथ मस्ती करत रहा। ऐसी घटनाएं रोएं खड़ा कर देने वाली हैं। मध्य प्रदेश में एक किशोर इस गेम मे छः घंटे तक लगा रहा, उसे दिल का दौरा पड़ा और मृत्यु हो गई। दिल्ली के दो बच्चों को अंततः पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराना पड़ा। दिल्ली में ही कुछ वर्ष पूर्व एक बच्चे ने अपने अभिभावकों को मार दिया, तलाक के भी कई मामले प्रकाश में आए हैं।
बच्चों को इस मुसीबत से बाहर निकाला यद्यपि कठिन जरूर है पर नामुमकिन नहीं। अभिभावकों को बच्चो पर नजर रखना चाहिए कि वे किस प्रकार की डिजिटल सामग्री ज्यादा देख रहे हैं, फिर उन्हें अपनत्व के साथ उचित सलाह देना चाहिए।बच्चो को खेलने का समय तय कर दें ताकि उनमें लत नहीं पड़ने पाए, हर समय मारधाड़ के दृश्यों में रुचि लेने से बचना, पढ़ाई को प्राथमिकता देना, मित्रों संग गपशप एवं खेलना, वास्तविक खेलों में सहभागिता, शारीरिक श्रम में रुचि लेना, परिवार के सदस्यों से अपनी बातें या समस्याएं साझा करना, अपने भविष्य के लिए रचनात्मक योजनाएं बनाना और अच्छे लोगों की संगति में रह कर नकारात्मक विचारों से बचने का प्रयास उज्ज्वल भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेगा। बचाव ही सुरक्षा का समुचित उपाय है।