जौनपुर, संकल्प सवेरा। गलियों में टहलते सियार हम सबको दिखाई पड़ जाते हैं लेकिन पकड़ने की कोशिश करने पर हाथ नहीं आते हैं और मौका मिलते ही हमला भी कर देते हैं। ऐसे ही टीबी भी होता है, किसी को नग्न आंखों से दिखाई नहीं देता लेकिन मौका मिलते ही हमला कर देता है। सियार इसलिए नहीं पकड़ में आता है क्योंकि हमेशा चौकन्ना रहता है। इसलिए हमें भी टीबी से अपने बचाव के लिए हमेशा चौकन्ना रहना चाहिए।
कुछ ऐसी व्यवहारिक जानकारियों के साथ लोगों को जागरूक करता वीडियो जिले में काफी चर्चा में है। इसमें टीबी से बचाव के लिए हमें सियार से सीख लेने की नसीहत दी जा रही है। कहा जा रहा है कि टीबी से बचाव के लिए हमें इसके प्रति चौकन्ना रहने की जरूरत है। यह रोग बहुत आसानी से फैलता है। यदि कोई लम्बे वक्त तक छींके या खांसे, वजन कम हो रहा है या ठंड लग रही है तो उसे तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। किसी को टीबी हुआ है तो उसे जिला अस्पताल ले जाकर उसका इलाज करवाना चाहिए जिससे उसका बचाव हो सके और हम सब भी संक्रमण से बच सकें। टीबी से डरने की जरूरत नहीं है। सरकारी अस्पतालों में इसकी दवाइयां मुफ्त में मिलती हैं। टीबी से ठीक होने के लिए दवाइयां खाने में जरा भी ढील नहीं करनी चाहिए क्योंकि सरकार इसके लिए मुफ्त में दवाइयां दे रही है। आप को दवा के लिए पैसे खर्च नहीं करने चाहिए। इसके बारे में लोगों के बीच चर्चा करना जरूरी है जिससे कि लोगों में जागरूकता आए। जागरूकता के लिए सबका सहयोग आवश्यक बताया गया है।
16 मार्च की रात नौ बजे रेडक्रॉस सोसायटी के लिए जारी इस वीडियो की स्क्रिप्ट डॉ अंकिता राज ने लिखी है जबकि इसका संगीत श्रेयांस का है और गायक सूरज हैं। गाने के माध्यम से ही ये सारे संदेश दिए गए हैं। इसकी लोकप्रियता इतनी है कि 18 मार्च (गुरुवार) को दिन में 11 बजे तक लगभग 40 घंटे में ही 576 लोगों ने देख लिया था। यहां बताना जरूरी है कि डॉ राज पहले से ही सामाजिक गतिविधियों में काफी सक्रिय हैं। उन्होंने महिलाओं को रोजगार के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाने के लिए ग्रीनहाथ प्रोडक्ट (www.greenhath.com) बनाया है। इससे जुड़ने वाली महिलाएं खाली समय में घर बैठकर क्रोशे, बुनाई, सिलाई का काम करती हैं। वाट्सएप की सहायता से वह उनके काम में सहयोग करती हैं। इससे उन महिलाओं की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है और उन्हें पढ़ाई लिखाई में सहयोग मिला है।
डॉ राज ने इंग्लिश में कार्टून की किताब (पैरेटून्स) की सीरीज शुरू की है। पति मनीष कुमार वर्मा के सहयोग से उन्होंने हैप्पी पैरेंटिंग के साथ दो और किताब लिखी हैंं। उन्होंने स्वयं प्यारा परिवार अपने बच्चों की मदद से लिखी है। इन किताबों के लेखन में उनके अंदर की मां, पत्नी और महिला तीनों ने सहयोग किया। इसका फोकस इंसान को आत्मविश्वासी बचपन से बनाने पर है। पीएचडी के दौरान वह आक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज (लंदन) जा चुकी हैं। यूएन वुमेन एशिया एंड दी पैसिफिक के लिए उन्होंने कई ब्लाग लिखे हैं।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ राकेश कुमार ने टीबी के प्रति समाज में जागरूकता लाने की डॉ अंकिता राज की कोशिशों की सराहना की है। वह कहते हैं कि डॉ राज की तरह समाज के पढ़े लिखे वर्ग से अन्य लोगों को भी सामने आना चाहिए। इस तरह की कोशिशों से स्वास्थ्य विभाग को चुनौतियों से निपटना आसान हो जाएगा।












