मछलीशहर। श्रीमद्भभागवद गीता में भगवान् वासुदेव ने स्पष्ट ही कहा है कि जब-जब पृथ्वी पर अधर्म बढ़ेगा तब-तब धरा पर भगवान् का किसी ना किसी रूप में प्रकटी करण होगा और अधर्मियों का विनाश होगा।धर्म दो प्रकार के होते है प्रथम लौकिक धर्म व द्वितीय परम धर्म।मनुष्य का लौकिक धर्म का पालन करते हुए परम धर्म को प्राप्त करना ही एकमात्र लक्ष्य होना चाहिए।अगर परम धर्म को प्राप्त करने में लौकिक धर्म बाधा बन रही हो तो उसे छोड़ देना चाहिए।सांसारिकता में रहकर किया गया धर्म लौकिक धर्म होता है जबकि धर्म का पालन केवल भगवद् भक्ति के लिए ही करना परम धर्म कहलाता है।सांसारिक मनुष्य को चाहिए कि वह लौकिक धर्म का पालन करते हुए परम धर्म के प्रति उन्मुख हो जीवन में सुख की अनुभूति करे।
उक्त बातें क्षेत्र के दियांवा महादेव गांव में चल रहे श्रीमद्भागवद कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के चौथे दिन कथावाचक श्री सुधाकर जी महराज ने कही।उन्होंने बताया कि भगवान् श्री कृष्ण ने परम धर्म के पालन हेतु ही इस धरा पर प्रकट हुए तथा लौकिक धर्म का पालन करते हुए अधर्मी कंश का वध किया।इस अवसर पर क्षेत्र के भारी संख्या में लोग उपस्थित होकर कथा का रसपान कर रहे हैं।आयोजक लालचन्द्र शुक्ल ने आये हुए सभी भक्तों का आभार व्यक्त किया।