विधि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में अगर काल सर्प दोष हो तो नाग पंचमी के दिन नाग देव की पूजा और रुद्राभिषेक करने से दोष से मुक्ति मिल जाती है. महीने के शुक्ल पक्ष के पांचवें दिन नागपंचमी मनाई जाती है. इस बार नागपंचमी पांच अगस्त को यानी आज है. आज ही सावन का तीसरा सोमवार भी पड़ रहा है. ऐसे में इस दिन नागपंचमी पड़ने से इसका महत्व और बढ़ गया है.
हिन्दू धर्म में नाग को देवता की श्रेणी में रखा जाता है. भगवान शिव खुद अपने गले में नाग लपेटे रहते हैं. वहीं भगवान विष्णु की तो शैय्या ही नाग है. माना जाता है कि नाग देवता को इस दिन दूध पिलाने से फल की प्राप्ति होती है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में अगर काल सर्प दोष हो तो नाग पंचमी के दिन नाग देव की पूजा और रुद्राभिषेक करने से दोष से मुक्ति मिल जाती है.
नाग पंचमी पर ऐसे करें पूजा
धर्म शास्त्रों में नागपंचमी के दिन पूरे विधि-विधान से नागदेवता की पूजा करने पर शुभ फल की प्राप्ति होती है. इस दिन व्रत करने और पूजा करने वाले जातकों को घर के मुख्यद्वार के दोनों तरफ गाय के गोबर से नागदेवता का चित्र उकेर कर उनकी पूजा करनी चाहिए. चित्र बनाते समय ध्यान रखें कि पांच फन वाले नागदेवता का पूजन काफी शुभ माना जाता है. हिन्दू धर्म शास्त्रों के मुताबिक़, नागदेवता कुल 12 होते हैं. अनंत, वासुकी, शेष, पद्म, कंबल, करकोटक, उच्चतर, धृतराष्ट्र, शंखपाद, कालिय, तक्षक और पिंगल भी नागदेवता हैं जिनकी पूजा की जाती है.
नागदेवता की पूजा करते समय पंचोपचार या षोडशोपचार विधि अपनानी चाहिए. मान्यता है कि इस दिन नागदेवता को दूध, लावा और खीर का प्रसाद चढ़ाने पर उनकी कृपा प्राप्त होती है. नागदेवता की पूजा करते समय इन मन्त्रों का पाठ करना बेहद शुभ माना जाता है.
ॐ भुजंगेशाय विद्महे,
सर्पराजाय धीमहि,
तन्नो नाग: प्रचोदयात्।।