ग़ज़ल
काठ से दिल लगाने का क्या फ़ायदा
रेत में जल गिराने का क्या फ़ायदा
दूर ही तुमसे जाना जो चाहे कोई
पास उसको बुलाने का क्या फ़ायदा
जो पलट कर दुआएं नहीं दे सके
उसके दर सर झुकाने का क्या फ़ायदा
बात सुनकर अगर कर रहा अनसुनी
हाल-ए- दिल फिर बताने का क्या फ़ायदा
इश्क़ है कोई माँ के चरण तो नहीं
ठोकरो में भी जाने का क्या फ़ायदा
बंधुओं से लड़ाई तो कर लूँ मगर
अपनो से जीत जाने का क्या फ़ायदा
चार परिवार चारो अलग हो बसे
ऐसी दौलत कमाने का क्या फ़ायदा
डॉ.शोभा त्रिपाठी
एसो. प्रो. हिन्दी विभाग,
ग्लोकल विश्वविद्यालय, सहारनपुर, उ. प्र.