मां की लोरी से लेकर नानी की कहानी तक सब है साहित्य – नीरज कुंदेल
* *बिना आर्थिक आत्मनिर्भरता के स्त्री स्वतंत्रता की अवधारणा संभव नहीं हो सकती – शोभा अक्षरा*
**आजमगढ़ साहित्य उत्सव में पूरे देश से जुटे प्रसिद्ध साहित्यकार*।
* *साहित्यकार ऋषिकेश सुलभ भी रहे उपस्थित*।
* *किताबें खरीदने के लिए बुक स्टॉल पर दिखा लोगों का उत्साह
आजमगढ़, संकल्प सवेरा,21 मार्च, शारदा टॉकीज में दो दिवसीय “आजमगढ़ साहित्य उत्सव” का आयोजन हुआ। उदघाटन समारोह के प्रथम सत्र का आरंभ सुप्रसिद्ध कथाकार, नाटककार, रंग समीक्षक ऋषिकेश सुलभ और साहित्यकार प्रकाश के रे के बीच संवाद से हुआ। बिहार से आए हुए प्रसिद्ध साहित्यकार रंगमंच से अपने गहरे जुड़ाव के कारण कथा लेखन के साथ-साथ नाट्य लेखन भी करते हैं भिखारी ठाकुर के प्रसिद्ध नाट्यशैली बिदेशिया की रंगयुक्तियों का आधुनिक हिंदी रंगमंच के लिए पहली बार अपने नाटकों में सृजनात्मक प्रयोग किया है।
अगले सत्र की शुरुआत दिल्ली से आई प्रख्यात लेखिका शोभा अक्षरा और दर्शकों के बीच संवाद से हुई। नवोदित साहित्यकारो अनेक प्रश्न पूछे साहित्य से संबंधित अनेक प्रश्न पूछे और अपनी जिज्ञासा शांत की। महिलाओं को संदेश देते हुए कहा कि “बिना आर्थिक आत्मनिर्भरता के स्त्री स्वतंत्रता की अवधारणा संभव नहीं हो सकती।” इसलिए महिलाओं को समाज में बाहर निकल कर अपना मुकाम खुद बनाने की जरूरत है।
*”मां की लोरी से लेकर नानी की कहानी तक सब है साहित्य”* दूसरे सत्र में कार्यक्रम की शुरुआत मध्य प्रदेश के सींधी से आए हुए साहित्यकार और प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता नीरज कुंदेल से आजमगढ़ के प्रसिद्ध रंगकर्मी अभिषेक पंडित ने वार्ता से हुई । नीरज कुंदेल का कहना था कि “जब हम किसी से जुड़ते हैं तो प्रेम के साथ ही उसकी समस्याओं से भी जुड़ जाते हैं।” उन्होंने नवोदित साहित्यकारों को सुझाव दिया कि अपने काम को जीवन का हिस्सा बना ले, लोगों की आलोचना से डरे नहीं सफलता जरूर मिलेगी। उन्होंने कहा कि मां की लोरी से लेकर नानी की कहानी तक सब कुछ साहित्य हैं। कृषि भी एक तरह का साहित्य है। मां सबसे बड़ा मैनेजमेंट गुरु है ।जरूरत है निडर होकर अपने व्यक्त करने की। आजमगढ़ के सुप्रसिद्ध रंगकर्मी एवं सुधार संस्थान के सचिव ने साहित्य और नाटक दोनों को एक समान बताते हुए कहा कि दोनों ही एक दूसरे के पूरक और पोषक है । नाटक ही साहित्य को नई कल्पनाशीलता प्रदान करता है।
इस कार्यक्रम में प्रसिद्ध रंगकर्मी रंगकर्मी ममता पंडित, अखिलेश द्विवेदी, पत्रकार आशुतोष द्विवेदी, साहित्यकार सोनी पांडे, सरोज यादव कंचन शिखा और मीडिया प्रभारी अरुण मौर्य व अरविंद पांडेय सहित तमाम प्रतिष्ठित लोग उपस्थित रहे।