वाराणसी। पूर्वांचल में मौसम का रुख अब पूरी तरह से बदल चुका है। सुबह घना कोहरा अंचलों में दुश्वारी दे रहा है तो दिन में निकली धूप बेअसर साबित हो रही है। सुबह और शाम मौसम का रुख ठंड की ओर हो रहा है तो रातें सर्द हो चली हैं। मौसम विभाग की ओर से अगले एक दो दिन और घने कोहरे का अंदेशा जाहिर किया गया है। गुरुवार की सुबह आसमान में घना कोहरा छाया रहा और दिन चढ़ने के बाद भी कोहरे की परत मामूली तौर पर ही कम हुई। जबकि सुबह ठंडी हवाओं का जोर होने से लोगों को ठंंड का बखूबी अहसास हुआ और लोग गर्म कपड़ों में लिपटे रहे। दिन चढ़ने के बाद भी आसमान साफ न होने की वजह से सूरज की रोशनी नहीं हुई और लोग धूप के इंतजार में ही रह गए।
बीते चौबीस घंटों में अधिकतम तापमान 27.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो सामान्य से एक डिग्री अधिक रहा, न्यूनतम तापमान 13 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो सामान्य से दो डिग्री अधिक रहा। वहीं आर्द्रता अधिकतम 91 और न्यूनतम 53 फीसद दर्ज की गई। मौसम विभाग की ओर से जारी सैटेलाइट तस्वीरों में पूर्वांचल में घना कोहरा है जबकि बादलों की सक्रियता दक्षिण की ओर बनी हुई है।
बादलों की सक्रियता भी जल्द
दक्षिण भारत में चक्रवातीय परिस्थितियों की वजह से बादलों की सक्रियता इस समय सोनभद्र जिले तक है, हवा का रुख इसी तरह बना रहा तो दोपहर बाद बादलों की सक्रियता पूर्वांचल के अन्य जिलों में भी हो जाएगी। वातावरण में पर्याप्त नमी होने के बाद भी पछुआ हवाओं का असर होने की वजह से बादल बारिश नहीं करा पाएंगे। हालांकि, बादलों की विदायी के बाद से ही गलन युक्त हवाओं का दौर शुरू हो जाएगा।
विजिबिलिटी 50 मीटर से हुई कम
बनारस में बुधवार की देर रात से शुरू हुआ प्रचंड कोहरा गुरुवार की सुबह तक जारी रहा। कोहरे के साथ ठंड भी तेजी से बढ़ी है। आज का न्यूनतम तापमान 14 डिग्री सेल्सियस तक दर्ज किया गया। हालांकि बुधवार को न्यूनतम तापमान 13 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा था। इस दौरान कोहरे के कारण शहर में रोज की तरह से दिखने वाली चहल पहल भी खामोश हो गई। मौसम विभाग बाबतपुर के आंकड़ों के अनुसार विजिबिलिटी 50 मीटर से भी कम रही। वहीं हवाओं में नमी 91 फीसदी दर्ज हुई। इस बीच बुधवार देर रात से शुरू हुआ तेज ठंड हवाओं का दौर भी जारी है। हवा की गति सात किलोमीटर प्रति घण्टे की रही। काशी में सबसे ज्यादा कोहरे की मार गंगा के किनारे वाले इलाके में देखी गई। यहां नाव संचालन से लेकर मछुआरों की भी गतिविधियां बिल्कुल ठप रहीं।