।। जय माता दी ।।
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।।
हिंदुओं का एक ऐसा त्यौहार जो साल में 2 बार मनाया जाता है और यह त्यौहार बड़ी ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है । जी हां हम बात कर रहे हैं हिंदुओं के प्रमुख त्यौहार नवरात्रि की। नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है जिसमें ‘नव’ का अर्थ है नौ दिन तथा ‘रात्रि’ अर्थ है रात। इन 9 दिनो में माता के नौ रूपों की पूजा की जाती है । मां दुर्गा के नौ रूप हैं:-
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम्।।
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम्।।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।
उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना:।।
यह नौ देवी नौ शक्तियों का रूप है:-
शैलपुत्री – इसका अर्थ – पहाड़ों की पुत्री होता है।
ब्रह्मचारिणी – इसका अर्थ- ब्रह्मचारीणी।
चंद्रघंटा – इसका अर्थ- चाँद की तरह चमकने वाली।
कूष्माण्डा – इसका अर्थ- पूरा जगत उनके पैर में है।
स्कंदमाता – इसका अर्थ- कार्तिक स्वामी की माता।
कात्यायनी – इसका अर्थ- कात्यायन आश्रम में जन्म ली हुई।
कालरात्रि – इसका अर्थ- काल का नाश करने वली।
महागौरी – इसका अर्थ- सफेद रंग वाली मां।
सिद्धिदात्री – इसका अर्थ- सर्वसिद्धि देने वाली।
पूरे वर्ष में यह त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। नवरात्रि साल में दो बार आती है । एक चैत्र मास में , जिसे चैत्र नवरात्रि के नाम से जाना जाता है और दूसरा अश्विन मास में जिसे शारदीय नवरात्रि का नाम दिया गया है । शास्त्रों के अनुसार यह 9 रातों और 10 दिनों में मां स्वयं धरती पर आती हैं और किसी न किसी रूप में अपने भक्तों को जरूर दर्शन देती हैं। गुजरात के बड़ोदरा में नवरात्री के उत्सव सबसे भव्य और सुन्दर रूप देखने को मिलता है। इसमें त्यौहार के दौरान प्रतिदिन 4-5लाख लोग गरबा नाचने के लिए एक ही स्थान पर इक्कठा होते हैं।
गरबा सिर्फ नृत्य के रूप में नहीं इस दिन प्रतियोगिता के रूप में यहाँ किया जाता है जहा बेहतर गरबा करने वालों को पुरस्कृत किया जाता है। ‘माँ शक्ति नवरात्री महोत्सव’ को लिम्का बुक्स ऑफ़ रिकॉर्ड में भी दर्ज किया गया है सबसे बड़े गरबा नृत्य एक साथ होने के कारण। उत्तर भारत में कई जगहों पर नवरात्रि के नौवें दिन ‘कन्यापूजन’ भी नवरात्रि के दौरान लोग करते हैं। इस पूजा में 9 छोटी लड़कियों को देवी मां के नौ रूप मानकर उनकी पूजा की जाती है और साथ ही उन्हें हलवा, पूरी, मिठाईयां, खाने को दिया जाता है।
हमारे भारतवर्ष में यह त्यौहार बहुत ही श्रद्धा के साथ मनाया जाता है ।
अधिकांश लोग इन 9 दिनो तक उपवास रखते हैं। इन 9 दिनों में माता रानी की विधिवत पूजा होती है और लोग उपवास रखते हैं। हम लोग नवरात्र तो मनाते हैं लेकिन क्या हम लोग यह जानते हैं कि नवरात्र मनाया क्यों जाता है ? इसके पीछे क्या कारण हो सकता है ? इसे सबसे पहले किसने मनाया था? जी हां हम बताते हैं आपको कि नवरात्र को सबसे पहले
मनाए जाने की कथा क्या हैं।
हिंदु धर्म की आस्था देवी दुर्गा maa में काफी अधिक होती हैं। मां दुर्गा हिन्दुओं की प्रमुख देवी हैं और देवी दुर्गा को आदि शक्ति व बुद्धितत्व की जननी माना जाता है। वह अंधकार व अज्ञानता रुपी राक्षसों से रक्षा करने वाली तथा कल्याणकारी हैं। उनके बारे में मान्यता है कि वे शान्ति, समृद्धि तथा धर्म पर आघात करने वाली राक्षसी शक्तियों का विनाश करतीं हैं। दुर्गा देवी आठ भुजाओं से युक्त हैं और हर भुजा में कोई न कोई शस्त्रास्त्र जरुर होते है।
सिंह की सवारी करने वाली मां दुर्गा ने महिषासुर नामक असुर का वध किया इसलिए उन्हे महिषासुरमर्दिनी भी कहा जाता है। श्रीमददेवीभागवत के अनुसार वेदों और पुराणों की रक्षा और दुष्टों के दलन के लिए माँ जगदंबा का अवतरण हुआ है। वहीं ऋगवेद के अनुसार माँ दुर्गा ही आदि-शक्ति है,उन्ही से सारे विश्व का संचालन होता है।
देवी दुर्गा के आदेश पर ही जगतपिता ब्रह्मा ने सृष्टि का निर्माण किया था.इसलिए इस शुभ तिथि chaitra navratri को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिन्दू नववर्ष का प्रारंभ होता है। इसीलिए नवरात्रि के दौरान नव दुर्गा के नौ रूपों का ध्यान, उपासना व आराधना की जाती है तथा नवरात्रि के प्रत्येक दिन मां दुर्गा के एक-एक शक्ति रूप का पूजन किया जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शारदीय नवरात्र की पूजा सतयुग में सबसे पहले श्री राम जी ने की। लंका युद्ध में ब्रह्मा जी ने रावण वध के लिए श्री राम जी को मां चंडी की पूजा करने का निवेदन किया था। इस पूजन में 108 नीलकंठ कमल की व्यवस्था की गई। वहीं दूसरी ओर रावण ने भी अमृत्व पाने के लिए विजय कामना से चंडी का पाठ प्रारंभ कर दिया। यह बात इंद्रदेव ने पवन देव के माध्यम से श्री राम भगवान जी तक पहुंचाई और और परामर्श दिया कि चंडी का पाठ यथासंभव होने दिया जाए। इधर हवन सामग्री में पूजा स्थल से एक नीलकमल रावण की मायावी शक्ति से गायब हो गया और भगवान श्रीराम का संकल्प टूटता सा नजर आने लगा है । इस बात का भय था कि देवी मां रुष्ट ना हो जाए और इस समय तत्काल नीलकमल की व्यवस्था असंभव थी । तभी भगवान श्रीराम को याद आया कि मुझे लोग कमलनयन नव कंज लोचन कहते हैं तो क्यों ना संकल्प पूर्ति के लिए एक नयन अर्पित कर दिया जाए और प्रभु राम जैसे ही अपना धनुष बाण निकाले अपने एक आंख निकालने के लिए तभी देवी मां प्रकट हो गई और राम जी का हाथ पकड़ के कहने लगी बस राम , मैं तुम्हारी भक्ति से प्रसन्न हूं और विजय श्री का आशीर्वाद दिया । वही रावण के चंडी पाठ में यज्ञ कर रहे ब्राह्मणों की सेवा कर ब्राम्हण बालक का रूप धारण कर हनुमान जी सेवा में जुट गए । निस्वार्थ सेवा देखकर ब्राह्मणों ने हनुमान जी से एक वर मांगने को कहा ।
इस पर हनुमान जी ने विनम्रता पूर्वक कहा प्रभु आप प्रसन्न है तो जिस मंत्र से आप यज्ञ कर रहे हैं उस मंत्र का एक अक्षर मेरे कहने से बदल दीजिए । ब्राम्हण इस रहस्य को समझ नहीं सके और तथास्तु कह दिया । हनुमान जी ने कहा मंत्र में जया देवी भूर्ति हरिणी के स्थान पर करणी उच्चारित करा दिया । हरिणी का अर्थ होता है भक्तों की पीड़ा हरने वाली और करणी का अर्थ होता है पीड़ा देने वाली। जिससे देवी मां उससे रूस्ट हो गई और रावण का सर्वनाश कर दिया ।
हनुमान जी ने रावण के यज्ञ में ह की जगह क करवाकर रावण के यज्ञ की दिशा ही बदल दी और उसके बाद दसवें दिन लंका विजय के लिए प्रस्थान किया और विजय प्राप्त की। जब से असत्य पर सत्य की , अधर्म पर धर्म की विजय का पर्व विजयदशमी (दशहरा ) मनाया जाने लगा और साथ ही आदिशक्ति के उनके अलग-अलग रूपों की 9 दिनों में अलग-अलग पूजा हर साल होने लगी।
भारत के पूर्वी राज्यों जैसे पश्चिम बंगाल में जगह-जगह दुर्गा मां के पंडाल बनाए जाते हैं जहां भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं। वहां पर माता दुर्गा की पूजा करते हैं और उनसे सुख शांति की कामना करते हैं। भारत के पश्चिमी राज्यों मैं नवरात्रि का एक अलग ही रंग दिखता है जहां शाम के समय लोग दांडिया खेलते हैं। अगर हम आसान शब्दों में नवरात्री का महान पर्व का उल्लेख करें तो यह एक ऐसा त्यौहार है जो भारत के हर एक कोने में मनाया जाने वाला एक मुख्य त्यौहार है।
लेखिका:-
विजयलक्ष्मी शुक्ला