हिंदी है हम वतन है !
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संकल्प सवेरा। हिंदी के नाम पर भारत का नाम हिन्द देश और आज हिंदी की ही सार्थकता है कि हम हिन्दू राष्ट्र के लिए कृतसंकल्प है । हिंदी ने भारतीय संस्कृति के उत्थान में अहम भूमिका निभाई है ।
हम आधुनिकता के नाम पर जिस प्रकार फूहड़ता और अभद्र भाषा के शिकार हुए है उसकी बानगी यह है कि हिंदी को बिखरना पड़ा । आज हिंदी माध्यम में आम बोलचाल भी हेय कि दृष्टि से देखी जाती है । हिंदी प्राचीन साहित्य की अमूल्य धरोहर है ।
देश की सर्वाधिक प्रचलित भाषा को जो सम्मान मिलना था वो नहीं मिला और आज हम सब विवश है की हिंदी दिवस मनाए । वर्ष 1947 में देश के आजाद होने के बाद संविधान में नियमों और कानून के अलावा नए राष्ट्र की आधिकारिक भाषा का मुद्दा भी अहम था, जिसके बाद 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से निर्णय लिया कि हिन्दी ही भारत की राजभाषा होगी ।
हिंदी को देश की राजभाषा घोषित किए जाने के दिन ही हर साल हिंदी दिवस मनाने का फैसला किया गया । पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 को मनाया गया था । तब से अभी तक हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है । आपको बता दें कि हिन्दी दिवस के अलावा हर साल 10 जनवरी को विश्व हिन्दी दिवस भी मनाया जाता है ।
यूं तो भारत विभिन्न्ताओं वाला देश है । यहां हर राज्य की अपनी अलग सांस्कृतिक, राजनीतिक और ऐतिहासिक पहचान है । यही नहीं सभी जगह की बोली भी अलग है।इसके बावजूद हिन्दी भारत में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है । यही वजह है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने हिन्दी को जनमानस की भाषा कहा था । उन्होंने 1918 में आयोजित हिन्दी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी को राष्ट्र भाषा बनाने के लिए कहा था।आजादी मिलने के बाद लंबे विचार-विमर्श के बाद आखिरकार 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा में हिन्दी को राज भाषा बनाने का फैसला लिया गया।
भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय की धारा 343 (1) में हिन्दी को राजभाषा बनाए जाने के संदर्भ में कुछ इस तरह लिखा गया है, ‘संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी । संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा ।
हालांकि हिन्दी को राजभाषा बनाए जाने से काफी लोग खुश नहीं थे और इसका विरोध करने लगे । इसी विरोध के चलते बाद में अंग्रेजी को भी राजभाषा का दर्जा दे दिया गया । हिन्दी दिवस क्यों मनाया जाता है इस पर सार्थक चर्चा की जरूरत है । भारत सालों तक अंग्रेजों का गुलाम रहा ।
इसी वजह से उस गुलामी का असर लंबे समय तक देखने को मिला । यहां तक कि इसका प्रभाव भाषा में भी पड़ा । वैसे तो हिन्दी दुनिया की चौथी ऐसी भाषा है जिसे सबसे ज्यादा लोग बोलते हैं, लेकिन इसके बावजूद हिन्दी को अपने ही देश में हीन भावना से देखा जाता है । आमतौर पर हिन्दी बोलने वाले को पिछड़ा और अंग्रेजी में अपनी बात कहने वाले को आधुनिक कहा जाता है ।
इसे हिन्दी का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि इतना समृद्ध भाषा कोष होने के बावजूद आज हिन्दी लिखते और बोलते वक्त ज्यादातर अंग्रेजी भाषा के शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है और हिन्दी के कई शब्द चलन से ही हट गए । ऐसे में हिन्दी दिवस को मनाना जरूरी है, ताकि लोगों को यह याद रहे कि हिन्दी उनकी राजभाषा है और उसका सम्मन व प्रचार-प्रसार करना उनका कर्तव्य है।
हिन्दी दिवस मनाने के पीछे मंशा यही है कि लोगों को एहसास दिलाया जा सके कि जब तक वे इसका इस्तेमाल नहीं करेंगे तब तक इस भाषा का विकास नहीं होगा !
हिंदी दिवस की शुभकामनाएं
— पंकज कुमार मिश्रा सह – संपादक राष्ट्रीय त्याग , शिक्षक एवं पत्रकार केराकत जौनपुर ।