नई दिल्ली. देश में कोरोना की दूसरी लहर अब थमती दिखाई दे रही है. केंद्र सरकार की ओर से शनिवार को राहत भरी खबर देते हुए बताया गया कि देश में कोरोना के संक्रमित मरीजों की संख्या तेजी से कम हो रही है. हालांकि सरकार ने चेतावनी देते हुए कहा कि ब्लैक फंगस से बचने की जरूरत है, क्योंकि इसके कारण कोरोना से होने वाली मौत का आंकड़ा बढ़ रहा है.
नीति आयोग के सदस्य डॉ डॉ पॉल ने कहा, मधुमेह रोगी को इससे सधिक खतरा है. इसलिए मधुमेह को नियंत्रित करें क्योंकि इससे मृत्यु दर का जोखिम बढ़ जाता है. यह तब अधिक होता है जब कोविड मरीजों को स्टेरॉयड दिए जा रहे हों. स्टेरॉयड को जिम्मेदारी से दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि ब्लैक फंगस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और कई राज्यों में 400 से 500 केस सामने आ चुके हैं.
डॉ. वीके पॉल ने कहा कि इस बीमारी से कैसे लड़ना है इसके बारे में अभी हमें ज्यादा जानकारी नहीं है. ये एक उभरती हुई समस्या है और ICMR (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) ने डेटा एकत्र करना शुरू कर दिया है. हमने राज्यों से इस पर नजर रखने को भी कहा है.पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, चंडीगढ़ में माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. अरूणालोके चक्रवर्ती के मुताबिक पिछले सल सितंबर से दिसंबर के बीच देश के 16 केंद्रों में आए ब्लैक फंगस के मामले 2.5 गुना बढ़ गए हैं. डॉ. चक्रवर्ती फंगल इंफेक्शन स्टडी फोरम का हिस्सा हैं और उन सदस्यों में से एक हैं जिन्होंने म्यूकरमाइकोसिस पर सरकार के लिए एडवाइजरी तैयार की है.
डायबिटीज के हैं ज्यादा मरीज़
एम्स के डायरेक्टर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने बताया, ‘गुजरात के हॉस्पिटल में ब्लैक फंगस केस को देखने के लिए कई स्पेशल वॉर्ड बनाए गए हैं. यहां अलग-अलग डॉक्टरों की टीम है. जांच में पता चल रहा है कि सारे मरीजों को कोरोना के इलाज के दौरान स्टेरॉयड दी गई थी. इसमें से 90-95 फीसदी वो मरीज़ है जिन्हें डायबिटीज हैं. कोविड खुद मरीजों को लिम्फोपेनिया की ओर ले जाता है. इसके अलावा स्टेरॉयड के इस्तेमाल से शरीर में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है.’