एडवोकेट तृषा त्रिवेदी “मेघ”
रायबरेली – उत्तर प्रदेश।
देखना क्या किसी में है गुण-दोष को,दोष अपने सदा दूर करते चलो।
मन वचन और करम से हो सम भावना,नित्य भगवान को आप भजते चलो।।
(1) काम और क्रोध में मन यह फंसकर के भी संग अहंकार के भाव में पल रहा ।
जानकर भी सही और गलत का फरक भाई ही भाई को फिर भी है छल रहा।
इंद्रियों पे लगा करके अंकुश जरा,सत्य संकल्प का भाव भरते चलो।।
(2)जिंदगी की हकीकत भुला करके मन, झूठी दुनियाँ में यह इस कदर खोया है।
है गुजरती उमर की खबर है कहाँ मोह में मन पड़ा अब तलक सोया है।
जगाइए देखिये की है जाना कहाँ,खोजिये सत्य पथ और चलते चलो।
(3) दोष जीवन में अनजाने होते ही हैं,जानकार पाप कोई भी करिये नहीं।
प्रभु शरण जाइये सौपं दो भार सब,व्यर्थ चिंता कोई आप करिये नहीं।
अड़चने राह में तो बहुत आएँगी करते सत्कर्म नित आगे बढ़ते चलो।
एडवोकेट तृषा त्रिवेदी “मेघ”
रायबरेली – उत्तर प्रदेश।