लखनऊ, संकल्प सवेरा। मुंबई लौट रहे लखनऊ सहित आसपास के जिलों के प्रवासी श्रमिकों को ट्रेनों की सीटें बेचने का गोरखधंधा तेजी से चल रहा था। सांसदों व पूर्व सांसदों के फर्जी लेटरपैड पर वीआइपी कोटे से ट्रेनों की सीट हासिल कर उनको 500 रुपये में बेचा जाता था।
शरद पवार वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के एक राज्यसभा सदस्य के नाम पर फर्जी लेटरपैड से आए वीआइपी कोटे के आवेदन पर यात्रा करते हुए यात्री को रेलवे ने पकड़ा। जिसके बाद गुरुवार को दो लोगों की गिरफ्तारी आरपीएफ ने की।
टिकट बेचने वाले दलाल मुंबई सहित कई शहरों से आइआरसीटीसी की वेबसाइट में सेंध लगाकर तत्काल कोटे के कंफर्म टिकट हासिल कर उसे महंगे दामों पर बेच रहे हैं। जबकि वेटिंग लिस्ट वाले यात्रियों के टिकट सांसदों व पूर्व सांसदों के नाम पर बने फर्जी लेटरपैड से कंफर्म कराते थे।
बीती 17 जून को एनसीपी के राज्यसभा सदस्य देवी प्रसाद त्रिपाठी के नाम से बना लेटरपैड हजरतगंज डीआरएम आफिस के वीआइपी सेल में भेजा गया। इस लेटरपैड पर ट्रेन 02533 पुष्पक एक्सप्रेस स्पेशल की स्लीपर क्लास में लखनऊ से मुंबई का टिकट कंफर्म कराने के लिए पीएनआर नंबर 222-1136724 की डिटेल दी गई। रेलवे को आवेदन पर शक हुआ
वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक अजित कुमार सिन्हा ने इस पर दर्ज मोबाइल नंबरों पर संपर्क किया। जिस पर कोई संपर्क नहीं हो सका। तब रेलवे ने इस खेल को पकडऩे के लिए पीएनआर को कंफर्म कर वीआइपी कोटे से सीट आवंटित कर दी। वरिष्ठ मंडल सुरक्षा आयुक्त अभिषेक कुमार के नेतृत्व में एक टीम ने पुष्पक एक्सप्रेस में छापा मारा।
सीट पर सवार यात्रियों से जानकारी मिलने पर ठाकुरगंज निवासी आइआरसीटीसी एजेंट सैयद सलीम हुसैन को पकड़ा। उसकी आइआरसीटीसी की पर्सनल आइडी पर पहले के बने मुंबई के 51 टिकट और 32 हजार रुपये बरामद हुए। उसने पूछताछ में बताया कि वह वेटिंग लिस्ट के टिकट बनाता है।
जिसे उसका साथी निवाजगंज निवासी पंकज सिंह कुशवाहा वीआइपी कोटे से कंफर्म कराता है। सैयद सलीम हुसैन की निशानदेही पर पंकज सिंह कुशवाहा को आरपीएफ ने पकड़ा। उसके पास से सतीश चंद मिश्र, ददन मिश्र, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के निजी सचिव केपी सिंह और एमके मदान के नाम के 13 फर्जी लेटरपैड बरामद हुए। वह इन लेटरपैड में यात्रियों की डिटेल अपनी नाबालिग बेटी से भरवाता था।
ऐसे बढ़ी मारामारी : महाराष्ट्र में लॉकडाउन व पंचायत चुनाव के समय बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक यूपी आए थे। अब यह प्रवासी श्रमिक अपने काम पर लौट रहे हैं। इसके चलते पुष्पक जैसी ट्रेनों में लंबी वेटिंग हो गई है।
इन वेटिंग को कंफर्म कराने वाला गिरोह भी सक्रिय हो गया है। जिसके चलते एक बार फिर से फर्जी लेटरपैड का इस्तेमाल शुरू हो गया है।












