नई दिल्ली. देशभर में इन दिनों कोरोना वैक्सीनेशन का अभियान तेजी से चल रहा है. तीसरे फेज में 45 साल से ज्यादा उम्र के सभी लोगों को टीके लगाए जा रहे हैं. इसके बावजूद लोगों के मन में बार-बार एक ही सवाल आ रहा है, कोरोना की वैक्सीन असरदार है भी या नहीं? दरअसल देशभर से कई ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जहां वैक्सीन लेने के बाद भी लोगों को कोरोना हो रहा है और इसके सबसे ज्यादा शिकार डॉक्टर हो रहे हैं. खास बात ये है कि कई डॉक्टर कोरोना वैक्सीन की दो डोज लेने के बाद भी वायरस के संक्रमण से नहीं बच पा रहे हैं.
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज यूनिवर्सिटी (KGMU) के वाइस चांसलर लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. बिपिन पुरी को वैक्सीन की दो डोज़ लेने के 11 दिन बाद दोबारा कोरोना हो गया. इसके बावजूद पुरी का कहना है कि हर किसी को वैक्सीन लेनी चाहिए. KGMU में पुरी के अलावा यहां के सुप्रिटेंडेट और कम्युनिकेबल डिजीज के स्पेशलिस्ट डॉक्टर हिमांशु भी वैक्सीन की दो डोज़ लेने के बाद कोरोना से संक्रमित हो गए.
वैक्सीन लेने की सलाह
संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (SGPGIMS) के डायरेक्टर डॉक्टर आरके धीमान और उनकी पत्नी को भी होली से तीन दिन पहले कोरोना हो गया. इन दोनों ने भी वैक्सीन की दो डोज़ ली थीं. हालांकि इसके बावजूद डॉक्टर धीमान लोगों को वैक्सीन लेने की सलाह दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि टीकाकरण के बाद आप अस्पताल में भर्ती होने से बच सकते हैं. इसके अलावा इससे मौत की दर भी घट जाती
हबिहार के कई डॉक्टरों को भी वैक्सीन के बाद हुआ कोरोना
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में 26 से अधिक डॉक्टर टीका लगवाने के बाद भी कोरोना का शिकार हो गए. बिहारशरीफ के डॉक्टर उमेश कुमार और उनकी पत्नी डॉक्टर निर्मला सिंह भी टीका लगवाने के बाद कोरोना पॉजिटिव हो गए. इसके अलावा पटना के पटना मेडिकल कॉलेज के भी कई डॉक्टर कोरोनो पॉजिटिव पाए गए. इन सबने भी कोरोना की वैक्सीन ली थी.
जरूर लें वैक्सीन
पिछले दिनों AIIMS के डायरेक्टर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया से जब न्यूज़ 18 ने पूछा कि आखिर क्यों कई लोगों को वैक्सीन की दो डोज लेने के बाद भी कोरोना हो रहा है? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘देखिए वैक्सीन लेने के बाद में लोग कोरोना से संक्रमित हो रहे हैं, लेकिन अगर ऐसे लोग कोरोना की चपेट में आते हैं तो उन पर इस वायरस का असर कम दिखेगा. वो गंभीर रूप से बीमार नहीं होंगे. उनमें हल्के लक्षण हो सकते हैं. उन्हें आईसीयू की जरूरत नहीं पड़ेगी. इसके अलावा ऐसे लोगों की मौत होने की आशंका भी कम है.’