देश की नींव को खोखला करता भ्रष्टाचार…
रिपोर्ट मुस्कान सिंह
संकल्प सवेरा भष्टाचार आज एक ऐसा मुद्दा बन चुका है जिसके बारे में शायद ही कोई ऐसा हो जो ना जनता हो। इस शब्द का अर्थ जितना गहरा है इसका इतिहास भी उतना ही पुराना है। बात करें, भारत की तो आज़ादी के पूर्व अंग्रेजों ने सुविधाएं प्राप्त करने के लिए भारत के संपन्न लोगों को सुविधास्वरुप धन देना प्रारंभ किया और इसी चलन ने देश में भष्टाचार का रुप धारण कर लिया, तब से लेकर आज भी देश में यह फल-फूल रहा है।
आज़ादी के बाद चुनावों में भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा बनकर सामने आया। जय प्रकाश नारायण से लेकर अन्ना हजारे जैसे कई लोगों ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन किया। 2014 लोकसभा चुनावों के दौरान तो यह मुद्दा चर्चा का विषय बना हुआ था, जब भाजपा पार्टी के प्रधान मंत्री पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी ने अपने भाषणों में यह नारा दिया था, ‘ना खाऊँगा और ना खाने दूँगा।’ देखा जाए तो हर If seen, corruption has become an important issue in every election. चुनाव में भ्रष्टाचार एक अहम मुद्दा बन जाता है और इसी मुद्दे के बल पर कई पार्टियां चुनाव जीत भी जाती हैं, फिर भी यह मुद्दा वहीं का वहीं बना रहता है। 2016 में भ्रष्टाचार के खिलाफ़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोट बंदी जैसा ठोस कदम भी उठाया था लेकिन यह उतना कारगर साबित नहीं हुआ जितना देश के प्रधानमंत्री जी ने सोचा था।
दुनिया भर में कई लोगों ने भ्रष्टाचार के खिलाफ़ अपनी आवाज़ उठाई हैं, कई संस्थाएं हैं जो इस मुद्दे पर काम कर रही हैं उन्हीं में से एक है ‘ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल’ यह एक ऐसी संस्था है जो भ्रष्टाचार खत्म करने के मकसद से 100 से अधिक देशों में काम कर रही है। यह संस्था हर साल लोगों के बीच सर्वे करती है और उस सर्वे को ग्लोबल करप्शन बेरोमीटर एशिया के नाम से जारी करती है। यह सर्वे लोगों के 12 महीनों के अनुभवों पर आधारित होती है।
इस सर्वे में पुलिस, उच्च न्यालय, अस्पताल, पहचान दस्तावेज़ की प्राप्ति और उपयोगी सुविधाओं सहित छह प्रमुख सार्वजानिक सेवायें शामिल की जाती हैं। पिछले साल की रिपोर्ट की मानें तो हमारा देश भारत घूसखोरी के मामले में एशिया में टॉप पर है। रिपोर्ट के मुताबिक देश के ज्यादातर लोगों का मानना हैं कि नेताओं से लेकर सरकारी कर्मचारियों तक सभी रिश्वत लेने के मामले में सबसे आगे हैं।
बात करें, इस साल के रिपोर्ट की तो चार प्रतिशत लोगों का मानना हैं कि बीते पांच सालो में उन्हें अपने वोट बेचने के लिए पैसे प्रस्ताव किए गए थे, पिछले 12 महीनों में रिश्वत देने वाले सार्वजनिक सेवा उपयोगकर्ताओं का 5% प्रतिशत है, 68 प्रतिशत लोगों का मानना हैं कि सरकारी कामों में होने वाला भ्रष्टाचार सबसे बड़ी समस्या है, तो वहीं 83 प्रतिशत लोग यह मानते हैं कि आम आदमी चाहे तो बदलाव ला सकते हैं।
भ्रष्टाचार, जो समाज के सभी क्षेत्रों को प्रभावित करता है। भ्रष्टाचार को रोकना मतलब विकास की दिशा में प्रगति करना है, जो पर्यावरण संरक्षण करने के साथ रोजगार पैदा करता है, अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के लिए अच्छे अस्पताल प्रदान करता है।
“2021 अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस” भ्रष्टाचार से निपटने में राज्यों, सरकारी अधिकारियों, सिविल सेवकों, अधिकारियों, मीडिया प्रतिनिधियों, निजी क्षेत्र, जनता और युवाओं सहित सभी के अधिकारों और जिम्मेदारियों को उजागर करना चाहता है। भ्रष्टाचार को रोकने और उसका मुकाबला करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति की भूमिका महत्वपूर्ण है।
इसे हासिल करने के लिए नीतियों, प्रणालियों और उपायों को लागू करने की जरूरत है ताकि लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलने और ना कहने में सक्षम हो सकें। भ्रष्टाचार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन सरकारों की जिम्मेदारी पर जोर देता है कि वे प्रभावी व्हिसल-ब्लोअर सुरक्षा स्थापित करें ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि बोलने वाले व्यक्ति सुरक्षित हैं। ये उपाय सत्यनिष्ठा और निष्पक्षता की संस्कृति की दिशा में प्रभावी, जवाबदेह और पारदर्शी संस्थानों में योगदान करेगा।
अपने अधिकारों की रक्षा के लिए, हम सभी को भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में अपनी भूमिका निभानी होगी, साथ ही इमानदारी से अपनी जिम्मेदारियों का भी बखूबी निर्वाहन करना होगा।
– मुस्कान सिंह