भारत्तीय मनोविज्ञान परिषद् के तत्वावधान में कोरोना से उत्पन्न संकट एवं मानसिक समस्यायों पर ऑनलाइन गहन विचार विमर्श प्रो आर एन सिंह के संयोजन में हुआ । मनोवैज्ञानिकों ने कहा कि पूरा संसार इस समय कोरोना के आगे असहाय महसूस कर रहा है. तीन लाख से अधिक लोगो की असामयिक मृत्यु हो चुकी है एवं लगभग साढ़े चार मिलियन लोग इसकी गिरफ्त में हैं. एक अनुमान के अनुसार भविष्य में लगभग ३४ मिलियन लोग भयंकर गरीबी के शिकार हो जायेगें. भारत भी इसकी चपेट में आ चूका है.आज की तारीख में बयासी हज़ार से अधिक लोग इससे संक्रमित हैं और दो हज़ार छःसौ से अधिक लोगो की जान जा चुकी है. चौतरफा लॉक डॉन है, लोग घरों में कैद हैं, कल कारखाने बंद हैं, श्रमिकों की दशा देखी नहीं जा रही है., सर्वत्र त्राहि त्राहि मचा है.एक विष्णु के आगे सारे योद्धा असहाय हो चुके हैं. स्कुल कालेज बंद पड़े हैं, कर्मचारियों की नौकरियों पर खतरे की तलवार लटक रही है. ऐसा कष्टकर समय तो कभी भी कल्पना में नहीं था. ऐसी महामारी से पूरी दुनिया ही आज खौफजदां है. ऐसे में दिल दिमाग को दुरुस्त रख पाना एक गंभीर चुनौती है।
लॉक डाउन ने सब कुछ रोक दिया है, तो भला मन कैसे अछूता रह सकता है? लॉक डाउन के कारण आदमी अपनी निजी जिंदगी में बहुत ज्यादा खालीपन महसूस कर रहा है। ये खालीपन उसमे नाना प्रकार की नकारात्मक भावनाये भर रहा है। लोग चिंता अवसाद असुरक्षा की भावना से ग्रस्त हो रहे है। घर में रहते रहते अब ऊबने लगें हैं। खाली दिमाग शैतान का घर कहा गया है। ऐसे में एक संभावना हो जाती है क़ि आदमी मानसिक समस्यायों का शिकार हो सकता है। इसके कारण उसमे तनाव, अवसाद की समस्या का पैदा होना स्वाभाविक है। आदमी यहाँ तक सोच सकता है क़ि ये दुनिया बेकार है। ऐसा भाव शुभ नहीं है । ऐसी निराशा आदमी को ख़ुदकुशी के दलदल में धकेल सकती है, फिर उसमे में निकलना चक्रव्यूह से भी कठिन हो जाएगा ।
कोरोना के कारण उत्पन्न विषम हालातों पर आईये जरा गौर करते हैं. । अकेले केरल में लॉकडाउन के १०० घंटो के बीच सात लोगो ने ख़ुदकुशी कर लिया, हाँ ये बात और है क़ि वे शराब के दीवाने थे । उत्तर प्रदेश में एक आदमी इसलिए ख़ुदकुशी कर लिया क़ि उसकी पत्नी लॉक डाउन के कारण मायके से घर नहीं आ पाई। यानि क़ि लॉक डाउन लगातार लागू रहने कारण आदमी मानसिक रूप में टूट भी रहा है । कुछ किसानो और व्यापारियों ने भी ऐसा कदम उठाया है । घरेलू हिंसा भी बढ़ रही है। नॉएडा में तनाव ग्रस्त एक महिला ने सत्तरहवी मंज़िल से कूद कर जान दे दिया, अलीगढ में हैदर नामक एक युवक ने बंदी के कारण तनाव में आकर ख़ुदकुशी कर लिया. यूरोप के छब्बीस देशो में लॉक डाउन के कारण तनाव एवं आत्म हत्या के मामले बढे हैं. भारत में लगभग तीन सौ ऐसे लोगों की मृत्यु हुई है जो कोरोना से प्रभावित नहीं थे, अपितु लॉक डाउन के कारण उत्पन्न दशाओं के कारण मृत्यु हुई है. इससे साफ है कि लगातार बंदी के कारण मानसिक हालात भी बिगड़ रहे हैं, इस पर तुरंत ध्यान देने की जरुरत है.
कुलमिलाकर हालात यही इशारा करते हैं क़ि इसके पहले क़ि देर हो जाय, इसका तोड़ ढूढ़ना होगा। इस दौर में यह गंभीर संकट है। विश्व स्वास्थय संगठन भी इससे काफी चिंतित है। इसे रोकना होगा, वरना स्थिति विस्फोटक हो सकती है । दुनिया भर के मनोवैज्ञानिक इसे लेकर मंथन कर रहे है। चिंता अवसाद एवं आत्महत्या का भाव खतरनाक है । इससे बचना भी है और अपने लोगो बचाना भी है। इसलिए जरुरी है क़ि दिल एवं दिमाग को टूटने से बचाएं, अपना ख़याल रखिये, कामों में व्यस्त रखिये , दोस्तों से चिटचैट करिये, जीवन के अच्छे लम्हे ताजा करिये, अपने ऊपर थोड़ी मेहरवानी करिये और यदि मुश्किल हद से ज्यादा बढ़ जाये तो किसी चिकित्सक या मनोवैज्ञानिक से सलाह लीजिये। ध्यान रहे रात के बाद सुबह आती है, मनोबल बनाये रखे, मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता रहे, समस्याओं से लड़ने की ताकत खुद मिलती रहेगी। हर मुश्किल का अंत होता है, ये विश्वास कायम रहे।
प्रो यू पी सिंह, डॉक्टर जगदीश सिंह, ओ पी चौधरी, शुभ्रा सिंह रब संतोष कुमार आदि ने शिरकत किया।
प्रो आर एन सिंह , मनोविज्ञान विभाग,
बी. एच. यू . वाराणसी (941538084)
सचिव, भारतीय मनोविज्ञान परिषद