संकल्प सवेरा भारतीय जनता पार्टी खेतासराय मण्डल के उपाध्यक्ष व दो बार के ग्राम प्रधान रहे आंनद बरनवाल पर गुण्डा एक्ट लगाया गया है। अब उन्हें छह माह तक हर सोमवार को थाने में हाजिरी देनी होगी। अब वह अपने को निर्दोष साबित करने के लिए अधिकारियों के दरवाजे खटखटा रहा है। आंनद इसकी शिकायत जिले के पदाधिकारियों से लेकर मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री तक पत्र लिखा है।
खेतासराय थाना क्षेत्र गोरारी गांव के निवासी आनंद बरनवाल मौजूदा समय में खेतासराय मंडल के भाजपा के उपाध्यक्ष है। वे अपने गांव के दो बार प्रधान भी रहे है। जीवन यापन के लिए सोने चांदी की दुकान चलाते है।
आनंद बरनवाल को 9 अक्टूबर 2016 को गोरारी गांव में हुए साम्प्रदायिक तनाव के मामले में आरोपी बनाया गया। दूसरा मामला 14 अप्रैल 2017 में हुए बवाल का आरोपी बनाते हुए उन पर 147, 148, 149, 504, 506, 352, 427, 336, 452, 307, 425 व 7 CLA ACT के तहत मुकदमा दर्ज करते हुए पुलिस ने गिरफ्तार करके जेल भेज दिया।
इन्ही दोनों मामले को आधार बनाते हुए खेतासराय पुलिस ने जिला मजिस्ट्रेट को अपनी रिपोर्ट देते हुए लिखा कि अभियुक्त क्षेत्र का शातिर कुख्यात अपराधी है। अपने उदेश्य के लिए मारपीट करना व अवैध कार्य करके शांतिभंग करना मुख्य कार्य है। अपने भौतिक सुख एवं आर्थिक लाभ के लिए जनता को भयभीत करना मुख्य कार्य हो गया है। इसके विरुद्ध कोई भी व्यक्ति थाने पर सूचना देने व न्यायालय में गवाही देने का साहस नहीं करता है। पुलिस की इसी रिपोर्ट पर अपर जिला मजिस्ट्रेट ने आनंद बरनवाल पर गुण्डा एक्ट लगाते हुए छह माह तक सप्ताह के हर सोमवार को थाने पर हाजिरी देने का आदेश दिया है।
आंनद बरनवाल ने आज मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि मेरे ऊपर जो दोनों आरोप लगा था। वह बेबुनियाद था। जिस समय दोनों वारदाते हुई थी उस समय मै अपने दुकान पर था। दोनों विवाद की खबर मिलने के मैंने सीधे एसपी को सूचना देने के बाद मौके पर पहुंचा था।
दरअसल जब 9 अक्टूबर 2016 को गोरारी गांव में हुए साम्प्रदायिक तनाव हुआ था मौके पर एसपी अतुल सक्सेना आये हुए थे। मेरे द्वारा उन्हें बताया गया कि मोहर्रम का जुलुस उस समय कोई पुलिस कर्मी मौजूद नहीं था। अगर पुलिस होती तो यह वारदात नहीं होता। जिस पर थानेदार को एसपी ने मौके पर ही कड़ी फटकार लगाई थी। उसी कारण से थानाध्यक्ष ने मुझे उस मुकदमे आरोपी बना दिया। दूसरे वारदात में भी मुझे इसी खुन्नस के कारण आरोपी बनाया गया। पुलिसिया कारनामे से आम एवं संगठन से जुड़े लोगों में बेहद आक्रोश है।