SANKALP SAVERA सावन के सोमवार (Sawan Somvar) का महत्व कुंवारी लड़कियों (Unmarried Girls) के लिए ज्यादा होता हैं क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि यदि कुंवारी लड़कियां सावन के सोमवार का व्रत रखें तो उन्हें मनचाहा पति (Husband) मिलता है.
सावन भगवान शिव (Lord Shiva) का प्रिय महीना माना जाता है. यह महीना आयोजनों, अनुष्ठानों और भजन पूजन के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है. इस महीने में भगवान शिव की आराधना कई तरह से की जाती है. कोई सावन के सोमवार (Sawan Somvar) का व्रत रखता है तो कोई 16 सोमवार और शिव तत्त्व में रम जाता है. वहीं कई लोगं कावड़ यात्रा (Kanwar Yatra) पर भी निकलते हैं. हालांकि कोरोना (Corona) महामारी के चलते इस साल कांवड़ यात्रा पर रोक लगा दी गई है. आपको बता दें कि सावन में कांवड़ यात्रा साधकों और श्रद्धालुओं के भक्तिभाव और निष्ठा के समर्पण को एक साथ व्यक्त करती है. सावन के सोमवार को भगवान शिव की निमित व्रत की परंपरा है.
इस दिन स्त्रियां तथा विशेष रूप से कुंवारी लड़कियां (Unmarried Girls) अपने सुखी पारिवारिक जीवन की कामना करते हुए भगवान शिव का व्रत पूजन करती हैं. साथ ही भोलेनाथ का रुद्राभिषेक भी किया जाता है. सावन के सोमवार का महत्व कुंवारी लड़कियों के लिए ज्यादा होता हैं क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि यदि कुंवारी लड़कियां सावन के सोमवार का व्रत रखें तो उन्हें मनचाहा पति मिलता है. आइए आपको बताते हैं कि महिलाएं और कुंवारी लड़कियां शिवलिंग की पूजा कैसे करें.
कैसे करें भगवान शिव की पूजा
सावन के सोमवार को सुबह जल्दी उठें, घर की साफ-सफाई करें क्योंकि माता पार्वती और भगवान शिव को साफ-सफाई बहुत पसंद होती है. इसलिए खास तौर पर इस महीने अपने घर को साफ-सुथरा रखें. सफाई करने के बाद स्नान करें. स्नान के पानी में काला तिल या गंगा जल डालकर स्नान करें. स्नान के पश्चात हल्के रंग के कपड़े धारण करें. इसके बाद भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग की पूजा करें. शिवलिंग घर पर भी बनाया जा सकता है.
अब शिवलिंग पर जल या पंचामृत से अभिषेक करें. अभिषेक के पश्चात धतूरा, भांग बेलपत्र, जनेऊ चढ़ाएं. पूजा के पश्चात स्फटिक की माला ले और ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें. एक बात का ध्यान दें कि भगवान शिव को हल्दी और तुलसी के पत्ते कभी न चढ़ाएं. सुहागिन महिलाएं अपने पति के लंबी आयु के लिए पांच माला का जाप करें और कुंवारी लड़कियां अच्छे पति की कामना के लिए पांच माला का जाप ॐ नमः शिवाय मंत्र के साथ करें.
सावन के महीने में जब भगवान शिव की पूजा करें तो पूजा की थाली में 4 या 8 हरी चुड़ियां जरूर रखें. विधि-विधान पूर्वक भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें. अब थाली में रखी हरी चूड़ियों को माता पार्वती को चढ़ा दें. चढ़ाने के बाद उन चूड़ियों को अपने हाथों में धारण करें. इससे पति-पत्नी के बीच प्यार बढ़ता है.
क्या है सावन के सोमवर की मान्यता
मान्यता है कि माता पार्वती की तपस्या से खुश होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था. तब से ही सुखी दांपत्य की कामना से सावन में हरियाली तीज मनाने की परंपरा शुरू हो गई. सावन का आखिरी दिन श्रावण पूर्णिमा रक्षाबन्धन के रूप में मनाया जाता है. इससे पहले श्रावणी अर्थात जनेऊ बदलने और पितरों को स्मरण करने के रूप में मनाया जाता है. साथ ही एक हेमाद्रि संकल्प नाम से एक कर्मकांड भी संपन्न करते हैं. इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारी पर आधारित हैं












